Wednesday, December 24, 2025
बिन चैन की रातें"( ग़ज़ल)
Tuesday, December 23, 2025
हर मुलाक़ात का दर्द” ( ग़ज़ल)
हवा, फूल, मानव
बीते हुए दिन
“रातों की नमी” (ग़ज़ल)
हर मुलाक़ात का दर्द” ( ग़ज़ल)
Monday, December 22, 2025
पर्दों के परे बसे प्रेम(वेदांत / सूफ़ी गीत)
पर्दों के परे बसे प्रेम(वेदांत / सूफ़ी गीत)
Sunday, December 21, 2025
जताती हैं। ( ग़ज़ल)
Saturday, December 20, 2025
आज में जीओ"
रूह की राह (सूफी ग़ज़ल)
ज़िंदगी की कहानी (ग़ज़ल)
Thursday, December 18, 2025
लफ़्ज़ कम लगता है (ग़ज़ल)
कम लगती है (ग़ज़ल)
Wednesday, December 17, 2025
वर्षांत दीपक
वीर गाथाएँ
संगीत संध्या
दूर की आश्वासन
Tuesday, December 16, 2025
तेरी याद में जीते हैं”(ग़ज़ल)
चुप रहने में ही (ग़ज़ल)
कर्तव्य
दूर से मिला आश्वासन
चाँदनी का जादू
सूर्यकिरण
भिगी बारिश
विरह गीत
तेरे बिना (ग़ज़ल)
Sunday, December 14, 2025
हृदय का स्वप्न
Saturday, December 13, 2025
जुदाई की ग़ज़ल
पत्थर पर ख़ामोशी
“किसी मोड़ पर”(ग़ज़ल)
“तेरा मेरा रिश्ता" (ग़ज़ल)
सर्दियों की गर्माहट”
ख्वाब और ख्वाइश” (ग़ज़ल)
अकेले विचार – 128
Friday, December 12, 2025
घर की यादों की खुशबू
Thursday, December 11, 2025
बोलाते हैं (ग़ज़ल)
कविता एक औषधि
तेरी यादें का ताल (ग़ज़ल)
प्रभात के सपने
वीणानाद
अग्निवृष्टि
अंगारों में (ग़ज़ल)
Tuesday, December 9, 2025
सब अधूरा रह गया। (ग़ज़ल)
नमकीन क्यों है (ग़ज़ल)
ग़रूरत नहीं (ग़ज़ल)
प्रेम की दूरी
अब तुम्हारे रहे (ग़ज़ल)
पाया गया है। (ग़ज़ल)
रात भी ढल गई (ग़ज़ल)
Sunday, December 7, 2025
तेरी यादों का सफ़र ( गीत)
ड्रैगनफ्लाई की बूँदें
भौल गीत – एकतारा
दिल की राहों में (प्रेम गीत)
झलक” (प्रेम गीत)
“हूँ…”
न झुके हम (ग़ज़ल)
“नज़रअंदाज़ हुए दिल”
तेरी यादों का सफ़र ( गीत)
ड्रैगनफ्लाई की बूँदें
Saturday, December 6, 2025
तेरी मौजूदगी (ग़ज़ल)
इश्कि
आखोंके काजलमे बरलो मुझे युही
तेरी रेशमी जुल्फों के महक मुझे
दीवाना बनादिया तूने
क्या जादू है तुझमे बतादे जरा
तेरी ऑटोकि नमी से लिखी
नगमे मेरे दिलमे उत्तर गयी
लम्हा लम्हा उसे याद करके
जीता हुं इस तन्हाई में और इसे
गाकर सुनानेकी अदा मुझमे नहीं हैii
शिक्षक दिवस
भुलाने की कोशिशें
दिल में तुम्हारा नाम लिखा है।
जीवन की राहों में
अकेले विचार – 78
अकेले विचार – 78
युद्ध क्यों?
आज रात खामोशी में एक पालना खाली पड़ा है,
धुँधली होती रोशनी में एक माँ उदास होकर रो रही है।
जो आसमान कभी नीला था, अब आग का रंग है,
शांति के सपने कीचड़ में छिपे हैं।
मासूम आँखें, कृपा के क्षितिज को देखती हुई,
एक बच्चे की उम्मीद बिना किसी निशान के खो गई है।
जो खेत कभी सोने से लदे थे, अब धूल बन गए हैं,
अविश्वास से छोड़ा गया घर खंडहर में पड़ा है।
नेता बोलते हैं - लेकिन दिल चुप हैं,
दुश्मनी और दर्द की कीमत हमेशा ऊँची होती है।
जब झंडे फहराते हैं, तो ज़िंदगियाँ ठंडी ज़मीन पर गिरती हैं -
यह दुनिया फिर भी दुःख क्यों चुनती है?
जी आर
कवियुर
२४ ०६ २०२५
राह में (ग़ज़ल)
चंद्रवर्ष
बरसता है (ग़ज़ल)
मौन कहता है
ओ मेरे यार ओ दिलरुबा (romantic song)
वही मिठास (ग़ज़ल)
जन्म–जन्मांतरों का सफ़र (सूफी ग़ज़ल)
मुसाफिर हूं (सूफियाना ग़ज़ल)
Thursday, December 4, 2025
दोष मढ़ना
कम लगे (ग़ज़ल)
Wednesday, December 3, 2025
छोलों वाली शाम, दोस्ती वाला स्वाद (कविता)
Tuesday, December 2, 2025
“ईश्वर के हाथों से”
गूंज ही गूंज है (ग़ज़ल)
तेरी रोग (रोग)
मन (ग़ज़ल)
Monday, December 1, 2025
उजाला लाई (ग़ज़ल)
फूलों की मिठास
हवाओं की लहरें
कर्मनिष्ठ
नशा का (ग़ज़ल)
Sunday, November 30, 2025
सुबह की बर्फबारी
Saturday, November 29, 2025
तलाशता हूँ (ग़ज़ल )
यादों का सिलसिला” (ग़ज़ल)
“ये इश्क़ भी क्या चीज़ है” (ग़ज़ल)
Friday, November 28, 2025
यादों में (ग़ज़ल)
‘तेरी ख़ामोशी में (ग़ज़ल)
स्मृतियों का खुला दरवाज़ा (ग़ज़ल)
बरसात (ग़ज़ल)
Thursday, November 27, 2025
कविता : मौन प्रहरी
कविता : मौन प्रहरी: एक क्रिसमस चिंतन
प्रस्तावना
ऊँचे नटक्रैकर के पास इतिहास, वीरता और उत्सव की खुशी मिलती है। यह लकड़ी का प्रहरी, क्रिसमस की खुशियों का प्रतीक, दूर के सैनिकों की यादें, विविध संस्कृतियाँ और शाश्वत परंपराएँ लेकर खड़ा है। शांत निरीक्षक महसूस कर सकता है कि कैसे अतीत और वर्तमान कोमल उत्सव में मिलते हैं।
कविता : मौन प्रहरी
ऊँचे नटक्रैकर के पास खड़ा एक शांत दृश्य,
कवच चमकता है पुरानी यादों के ज्वाल में।
क्रिसमस की खुशी नाचती है हर प्रकाश में,
गीतों और हंसी से भर जाते हैं हृदय रात में।
जर्मन सैनिकों की कथाएँ धीरे उठती हैं,
अमेरिकी गार्ड की शान सबकी आँखों में चमकती है।
भारतीय वीरता उभरती है रक्तरंजित मैदान में,
ढाल चमकती हैं इतिहास की जीवंत कहानी में।
लकड़ी का प्रहरी चमकता है उजाले में,
सांस्कृतिक पुल जोड़ता है दुनिया में।
इतिहास कहता है सेनापतियों की राह,
क्रिसमस फैलाए प्यार, खोलें हर दिल की चाह।
जी आर कवियुर
(27
11 2025)
(कनाडा, टोरंटो)
