Saturday, December 13, 2025

“किसी मोड़ पर”(ग़ज़ल)

“किसी मोड़ पर”(ग़ज़ल)

किसी मोड़ पर मिलते तुझको हमसे,
आज भी तुम मुख मोड़ कर चले हमसे। (2)

यादों की राह में खोले फसाने हमसे,
तन्हाई ने पुकारा तुम्हें हमसे। (2)

हर ख्वाब में बस देखा चेहरा हमसे,
चाँदनी रात में गूँजे बातें हमसे। (2)

हवा भी लाए खुशबू तुम्हारी हमसे,
कदमों की आहट सुनी सदा हमसे। (2)

पर मिल न पाए तू जुदा हमसे,
रात के सन्नाटे में रोता रहा हमसे। (2)

यादों के साये में खोया रहा हमसे,
दिल की गहराई में छुपा है नाम हमसे। (2)

जी आर कहता है, ये अल्फाज़ तेरे लिए हमसे,
हर धड़कन में बसा है तेरा नाम हमसे। (2)

जी आर कवियुर 
13 12 2025
(कनाडा , टोरंटो)

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