तेरी यादों का चाँद मेरे दिल में ही चमकता रहता है
रात की ख़ामोशी में भी तेरा नाम ही धड़कता रहता है (2)
क़दम जहाँ भी चलते हैं, तेरी आहट कुछ तो कहता है
हवा भी तेरे परदेसी ग़म को चुपके से ही बहता है (2)
तेरे जाने का ज़ख़्म अभी तक दिल में क्यों ना सहता है
तेरी हर तस्वीर मेरे सपनों पर अपना रंग ही रहता है (2)
दिल की सूनी गलियों में एक साया तुझसा कहता है
“प्यार कभी नहीं मरता”— बस वक़्त ही आगे रहता है (2)
तेरी मद्धम यादें अब भी ख़ुशबू बनकर बहता है
जैसे बाग़ में चुपके से कोई फुल नया खिलकर रहता है (2)
जी आर की हर शायरी में तेरा ही अफ़साना रहता है
क़लम उठे तो हर लफ़्ज़ में तेरा नाम ही रहता है (2)
जी आर कवियुर
10 12 2025
(कनाडा, टोरंटो)
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