बीता हुआ साल धीरे दस्तक देता है
पहले सुनी परछाइयाँ साथ ले आता है
कुछ सपने धुँधले, कुछ रह गए साथ
कुछ दुआएँ टूटीं, कुछ बनीं सौग़ात
ख़ामोश दर्द में मुस्काना सीखा
बारिश में थोड़ा नाचना सीखा
कुछ अपने छूटे, कुछ पास रहे
हर विदाई ने सुनना सिखा दिया
रातें लंबी हुईं, दिल समझदार हुआ
सच सादा आँखों में छुपता हुआ
मिटते लम्हों के इस मोड़ पर
उम्मीद चली आने वाले साल की ओर
अनकहे इरादे राह तकते खड़े
खुले बिना ख़त जैसे पास पड़े
सुबह की रोशनी में हम खड़े हैं आज
नए साल का स्वागत, शांत हौसलों के साथ
जी आर कवियुर
23 12 2025
(कनाडा, टोरंटो)
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