आँखों में झिलमिल करती मौन छाया
अनवरत बहती रात की धुन
चाँदनी की ठंडक में खिलते सपने
हल्की बयार बरसाती कोमल हँसी
बिन धूप की राह में जगती उम्मीद
परछाइयाँ पथ पर लिखती मुस्कान
बादल हटकर संवारें नीला गगन
निशब्दता गुनगुनाए उजास का गीत
यादों की धार छूकर जाती मन को
खुलती पत्तियाँ कहती अनसुनी बातें
राह में चमके भोर की ओस बूँदें
चंद्रवर्षा दे दिल को शांति की फुहारें
जी आर कवियुर
06 12 2025
(कनाडा, टोरंटो)
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