Friday, May 5, 2023

बड़े हाथ ओररचना जी आर कवियूर

बड़े हाथ ओर
रचना 
जी आर कवियूर 

जीवन की इस दौर में
मेरी बात न मानो
तेरी मन में जो आए
वैसे ही करो यारा

मगर तेरे लिए ही
जीता आया हूं
और मर मिटेंगे
मन की बात सुनो

बेचैनियों से काबू पाओ
बचपन की यादें जवानी तक
जवानी से बुढ़ापा तक
जो कुछ सोचा था सब वेहम

अब तलक जो हुआ
सब भूल कर बढ़ाओ
हाथ जो मानवता के
ओर बढ़ती चली जाए

06 05 2023

Thursday, May 4, 2023

जीता हूं तेरे याद में - रचना जी आर कवियूर

जीता हूं तेरे याद में
रचना 
जी आर कवियूर 

जीता हूं तेरे याद में
मौन खटकता है
बीते हुए दिनों की
आहटओ के पीछे
दबे पांव की खयाल


गली और चौबारे
फांद कर के
थक चुका हूं
एक झलक देखने की
उम्मीदों पर जीता हूं  

कुबूल तो नहीं है
फिर भी भूल कर बैठा हूं
होठों पर गजल और जाम
आखिर यह धड़क कितने दिन 

जीता हूं तेरे याद में
माउन खटकता है
बीते हुए दिनों की
आहट ओके पीछे
दबे पांव की खयाल

05 05 2023