बड़े हाथ ओर
रचना
जी आर कवियूर
जीवन की इस दौर में
मेरी बात न मानो
तेरी मन में जो आए
वैसे ही करो यारा
मगर तेरे लिए ही
जीता आया हूं
और मर मिटेंगे
मन की बात सुनो
बेचैनियों से काबू पाओ
बचपन की यादें जवानी तक
जवानी से बुढ़ापा तक
जो कुछ सोचा था सब वेहम
अब तलक जो हुआ
सब भूल कर बढ़ाओ
हाथ जो मानवता के
ओर बढ़ती चली जाए
06 05 2023
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