Friday, July 28, 2023

तेरी यादों में ( गजल )

तेरी यादों में ( गजल )

तेरी यादों को मैं आज
छुट्टी देने को सोचा
मगर भुला नहीं पाया
गहराई चोट दे तू चली गई

चित्रा हुआ लफ़्ज़ों को
बीनकर गजलो की माला
पर उतर नगमा के चमक
और धमक में खो गया

मगर आंसुओं ने
अक्षरों को मिटा दिए
देखते ही देखते खेड़ा
बचे हुए रंग तितली बन उड़े

रचना 
जी आर कवियूर 
28 07 2023

Saturday, July 22, 2023

बेकरारी से - (गजल)

बेकरारी से - (गजल)

इश्क की दरिया में
जा मिलने की ख्वाब
देख कर चले गली 
चौबारा से दूर दूर

जूझता हुआ मीठे दिनों की
तेरी यादों की कश्ती में
दुनिया की रंगरलिया से
हटकर चलता रहा हूं

बेजुबान सा हो गया हूं
बिना तुझे देखकर
कली जो खेली और
भंवरों की मर्डर आने की
सुख देखते ही बीते हुए दिनों में
जा अटका है राहै
तुझे मिलने की आशा से
जी रहा हूं इस तरह
सनम बेकरारी से

लेखक
जी आर कवियूर
23 07 2023

Saturday, July 8, 2023

अनमोल रहे

अनमोल रहे 

दिल चुरा लिया के 
कब चली गई हो तु
कली जो खिल उठी है

 जिंदगी का नजारा
बदल गई चंद अल्फाजों से
हां तेरी नजर से नजर मिले
गम गायब हो चुकी थी

गजलों की गुनगुना 
उठा मन की
महफिल में सनम 
बेकरारी सी हो गई

क्यों कहां है हरदम
इतनी भी लिखूं या गांवे 
नहीं यादें तुम्हारी हर दम
खयालो में नगमे बन उत्तर आती है

हां तेरे सिवा नहीं 
जीना मुमकिन नहीं है
हां यह सच है यारा 
 यह प्यार हमारा अनमोल रहे 

लेखक
जी आर कवियूर
07 07 2023




Tuesday, July 4, 2023

सपनों में से...

सपनों में से...

कहां गए वो सपने
सच होकर भी बिखर गए
आते जाते दिनों की भीड़ में
गुमशुदा की तलाश पर

रोते रोते हस पड़े
अनहोनी राहों पर
तेरी आने की झलक देख
बैठा हूं बेकरारी संघ लिए

अगर मगर की ताना बुनकर
और नहीं सहा जाता
तनहाई की मोड पर   
सपनों की सौदागर बनकर

आस की पोटली लिए
भटकता रहा इस भीड़ में
तू कहां चली गई
सपनों में से सच बनकर

रचना 
जी आर कवियूर 
05 07 2023





भुला ना पाया ....

भुला ना पाया ....

गजलो में गजल तू
गुलाब की फूलों में
मेहक और चमक 
चुभता हुआ कांटे भी तू

जिंदगी की राह में
भंवरों के पांव तले तू
तुझे बचाए कांटे और
समा जाए  सितम तुझ में ही

बेकरारी की आलम में
सब कुछ भूल है 
तेरे सिवा अधूरी है
जिंदगी के करवाएं

कुबूल है हर अदाएं तेरी
भूल ना चाहा मगर
भुला ना पाया तेरी
यादों की गुलदस्ते

रचना 
जी आर कवियूर 
03 07 2023