तुम क्यों मुस्कुराना
भूल गए हो
रातें हैं चुप, ख्वाब हैं सहमे,
दिल में छुपी बातें उठाना भूल गए हो।
चाँदनी से ढकी रातें हैं सहारे,
खोई बातों को फिर से पुनः प्यारे।
मुस्कुराहट की बुनाई सीखो,
दिल की गहराईयों में खो जाओ।
सपनों की दुनिया में खो जाओ,
खुद से मुलाकातें करो फिर से बिना किसी विरासत के।
प्यार की राहों में खो जाओ,
मुस्कुराहट को फिर से अपनाओ बिना किसी खोज के।
जिंदगी की हर खुशी को अंगिनत करो,
खोई हंसी को फिर से पा लो बिना किसी संकोच के।
मुस्कुराना भूल गए हो,
अब इसे फिर से पाने की तलाश में हो।
रचना
जी आर कवियूर
01 11 2023