Monday, April 3, 2017

शाम और शमां भी बुझ गयी

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चांद की रोशनी में,
तेरे गम और जाम के साये में
वक्त के दरम्यान साकी  ,
जो तूने तोड़ा मेरा दिल ,
टुकड़े हुए अरमानों के पैमाने !
लगी चोट दिल के आईने में !
क्या बताऊँ तू जो रूठ के गयी
खामोशी से ,छोड़ अकेला मैखाने में ,
सिर्फ आंसुओं के सिवा कुछ नहीं दिखता
शाम और शमां भी बुझ गयी  !!!