तेरे मेरे बीच में
तेरे बगैर जिंदगी की राह में
क्यों इतना फ़ासला रहता है
सपनों की मन्जिलों की धुंध में,
मेरा दिल क्यों खोया रहता है।
तेरी यादों की छांव में,
मेरा जहाँ बिखरा रहता है।
हर रोज़ तेरी यादों का ख्वाब,
मेरी रातों में बसा रहता है।
अक्सर दिल के रिश्ते की,
धड़कनों में तेरा नाम रहता है।
तेरी बिना ज़िंदगी की हर राह,
मेरे लिए बेहाल रहता है।
क्यों दर्द भरी ये बातें,
मेरे दिल में बसा रहता है।
तेरे बिना हर पल बेमानी,
मेरे दिल को सताता रहता है।
तेरी यादों की बारिश में,
मेरा दिल तरसता रहता है।
तेरे ख्वाबों की गहराई में,
मेरा दिल डूबा रहता है।
अब कैसे कह दूँ तुझसे,
मेरा जीना बिना तेरा कैसे रहता है।
तेरी बिना दिल मेरा बेकरार,
तेरा इंतजार रहता है।
तेरे साथ ही मेरी
खुशियों का गुजरिश्तान,
तेरी यादें हर जगह साथ रहती हैं।
फिर भी क्यों इतना फ़ासला
रचना
जी आर कवियूर
09 04 2024