Sunday, March 10, 2024

मेरी खुशियाँ

मेरी खुशियाँ

आंखों से तूने कैची
मेरी पतंग की डोर
पेच लड़ने से पहले ही 
कट गई मेरी तो

तू खुद भी बाज़ अब बन गई
उड़ना मेरा इतना आसान
समझ में नहीं आया कब
हो गई तू मेरे तन मन का आन

तेरी ख्वाहिशों में खोकर
मैंने भूला अपना सफर
अब तू बन गई है मेरी तक़दीर
मेरी पतंग का हुआ बेहाल हाल

पर फिर भी चलता है ये खेल
क्योंकि तू है मेरी मधुर सख़ा
तेरी हँसी में छुपी है मेरी खुशियाँ
और मेरी पतंग अब है तेरी राहों का मार्ग।

रचना
जी आर कवियूर
11 03 2024


Saturday, March 9, 2024

याद जो करता हूं आज भी

याद जो करता हूं आज भी

तेरी मीठी मीठी बातों को
याद जो करता हूं आज भी
रात या दिन भूल गया हूं
मुद्दों ख्वाबों में तेरी याद

ख्वाबों में भी तेरी यादें
मेरे दिल को छू जाती हैं
जब भी साथ तेरा था मुझे
जीवन में बसा के लाती हैं

धड़कनों में भी तेरी धुन
बिना बोले ही कह जाती हैं
दर्द भरी ये रातें भी
तेरे बिना बिताई जाती हैं

खुशियों के साथ तेरे थे
बिना तेरे अब आँसू आते हैं
सोचता हूं तेरे बिना मैं
जीने का मतलब ही खो जाता हैं

रचना
जी आर कवियूर
10 03 2024

Thursday, March 7, 2024

हर वक्त में तेरे यार में पागल

हर वक्त में तेरे यार में पागल 


तेरे प्यार के सागर में हर वक्त खोया हूं,
भूख और प्यास का अहसास नहीं किया है मैंने कभी,
लहे-लहे बीत गए एक दूसरे के साथ,
पर इंतजार की खड़िया अभी भी खाली है।

हर सांस में तेरा ही नाम लिया है,
तेरे बिना मेरा दिल है उदास लिया है।
तेरी आँखों के जादू में खो गया हूं,
तेरे प्यार के आग में जल गया हूं।

तेरी यादों की तस्वीर में हम उलझे हुए हैं,
तेरे ख़यालों में ही मेरी सारी कहानियाँ हैं।
हर दिल की धड़कन में तेरा ही साथ है,
तेरी बाहों में मेरी जिंदगी की राहत है।

रचना 
जी आर कवियूर
07 03 2024

Monday, March 4, 2024

कहूं कैसे वह कहानी

कहूं कैसे वह कहानी

किसको पूछे कैसे पूछे
किस्सा तेरा मेरा प्यार का
कहूं  तो कहूं कैसे वह कहानी
ख्वाबों की दुनिया में, बिछा दूं तेरी रानी.

अधूरा है जो बख्त से मैं ज़िन्दगानी, 
खुदा से मांग लूं तेरे लिए रब्बानी,
सपने में भी न जो तू, हो तो क्या कहानी,
बातें करते हैं दिल, मगर हैं ज़ुबानी, 

चाहत है तेरी जैसी, 
मगर है अलग निशानी,
 हर दर्द को चुपा लूं, क्योंकि है ये कहानी,
 चाँदनी से भी खूबसूरत, हो तू हर अदानी,

रोशनी में गुम, लिए हुए हैं अपने परवानी, 
चुपचाप रह जाऊं तेरे इस जहां में अदानी, 
चले जाएंगे हम, छोड़ देंगे बस ये कहानी, 
दिल में बसा लूं तुझको, बना दूं तेरी कहानी, 

रचना 
जी आर कवियूर
05 03 2024

Sunday, March 3, 2024

और कितना गम छुपाऊं

और कितना गम छुपाऊं 


दिल के अफ़साने को कैसे समझाऊं
रूह का क़ैल ग़म कैसे सुनाऊं
दिल की बातें बयाँ करूं कैसे
इस ख़ामोशी को कैसे बयाँ करूं

ख्वाबों की दुनिया में खो जाऊं
यादों की ज़मीन पे खुद को पाऊं
अपने दिल की धड़कनें सुनाऊं
तन्हाई की आँधी में खुद को ढालूं

ज़िन्दगी के राज़ कैसे समझाऊं
दर्द की कहानी कैसे सुनाऊं
अपनी हसरतों को कैसे पूरा करूं
खुदा से दुआ में मुझे माँगूं

रचना 
जी आर कवियूर
 04 03 2024

Wednesday, February 28, 2024

कर्जदार हूं मैं

कर्जदार हूं मैं

कांपता है दिल बेकारारी से
तेरी रहमत का इंतजार है
सितारों की चमक से भी गहरा
तेरा प्यार है, ऐ खुदा

हर रात की तन्हाई में
तेरी यादों का आलम है
मेरे दिल का हर राज़ तेरे सामने
एक सच्ची मंज़िल का इंतजार है

तेरी बेनूरी से है अंधेरा
मेरे दिल का हर कोना
मेरे दिल की हर धड़कन
तेरे नाम का है बस गीत

इस खोज में हूं मैं बेताब
तेरी मोहब्बत की राह में
तेरे इश्क़ में खोया हूं मैं
बस तेरी रहमत पे कर्जदार हूं मैं

रचना 
जी आर कवियूर
 29 01 2024

Tuesday, February 27, 2024

ना लगे इस रोग


ना लगे इस रोग

इश्क का चादर ओढ़
दुनिया से मुंह मोड़
एक दिन मोड पर मिली 
हसीना दिल ले गई

सदियों से चली आई
सर्दि यां धूप छा गया
बेकसूरी की कसौटी पर
छीन गई चैन और निंदिया

ढूंढे उसे चांद तारों पर
केवल पाया सपनों में उसे
यह कोई रोग है क्या
दुनिया में सबको एक बार

लग जाती है यह रोग
भूख नहीं प्यास नहीं
आनाकानी केवल उसके
कहानियों में फड़के मन 

रचना 
जी आर कवियूर
 28 01 2024