Wednesday, February 28, 2024

कर्जदार हूं मैं

कर्जदार हूं मैं

कांपता है दिल बेकारारी से
तेरी रहमत का इंतजार है
सितारों की चमक से भी गहरा
तेरा प्यार है, ऐ खुदा

हर रात की तन्हाई में
तेरी यादों का आलम है
मेरे दिल का हर राज़ तेरे सामने
एक सच्ची मंज़िल का इंतजार है

तेरी बेनूरी से है अंधेरा
मेरे दिल का हर कोना
मेरे दिल की हर धड़कन
तेरे नाम का है बस गीत

इस खोज में हूं मैं बेताब
तेरी मोहब्बत की राह में
तेरे इश्क़ में खोया हूं मैं
बस तेरी रहमत पे कर्जदार हूं मैं

रचना 
जी आर कवियूर
 29 01 2024

Tuesday, February 27, 2024

ना लगे इस रोग


ना लगे इस रोग

इश्क का चादर ओढ़
दुनिया से मुंह मोड़
एक दिन मोड पर मिली 
हसीना दिल ले गई

सदियों से चली आई
सर्दि यां धूप छा गया
बेकसूरी की कसौटी पर
छीन गई चैन और निंदिया

ढूंढे उसे चांद तारों पर
केवल पाया सपनों में उसे
यह कोई रोग है क्या
दुनिया में सबको एक बार

लग जाती है यह रोग
भूख नहीं प्यास नहीं
आनाकानी केवल उसके
कहानियों में फड़के मन 

रचना 
जी आर कवियूर
 28 01 2024

Monday, February 19, 2024

दिल थाम के सुनो

दिल थाम के सुनो


बहुत आसान था
तुझे केहने को की
मुझे नहीं चाहते हैं
मगर दिल थाम के सुनो

दर्द की गहराइयों में छुपी
ज़िन्दगी की तन्हाईयों को
खुदा से मांगता हूँ तुझे
साथ निभाने की ज़िम्मेदारी

रात के सितारों से लिखूँ
तेरे ख्वाबों की कहानी
धड़कनों में बसा लूँ तुझे
इस दिल की गहराइयों मे

प्यार की राहों में चलते
तेरी यादों के साथ जीते
दिल की हर धड़कन में सुनूँ
तेरे अभिमान की कहानी

रचना 
जी आर कवियूर
20 02 2024

Friday, February 16, 2024

बस एक अरमान।

बस एक अरमान।


धड़कनों की गहराइयों से सुन,
उसकी आवाज में छुपी बेखुदी को।
धीरे-धीरे उसकी बातों में गुम,
चिपके हैं वो लम्हे तेरे सपनों को।

उसने कहा था वो ज़िन्दगी के रास्तों से,
तेरी यादों की खुशबू उसके दिल में बसी है।
जैसे मोती खोजते हैं समुंदर की लहरों में,
वैसे ही वो तुझमें अपनी मंजिल को पाए हैं।

अब उसके आँसुओं में छुपा है तेरा गम,
तेरे इश्क के दरवाजे पर उसने किया अभिमान।
सोचता है वो क्या कहे, कैसे बयाँ करे,
उसकी कहानी में तेरा होना तो बस एक अरमान।

रचना 
जी आर कवियूर
17 02 2024

तुम नहीं तो

तुम नहीं तो

तुम नहीं तो गम भरी 
दिन ही है आज मेरी
जाने क्यों सताती है यादें तेरी

तेरे बिना ज़िंदगी सुनी
क्योंकि तू नहीं है मेरी
बहारें भी लगतीं सूनी
कहीं खो गई है चाँदनी

दिल की हर धड़कन में तू
ख्वाबों में भी बसी है तू
हर रोज़ तेरी यादों में
जी लूँ मैं फिर भी मरी

तेरी रूह का साया मेरे
हर अंधेरे में रोशनी
तेरे बिना अधूरी है ज़िंदगी
तू मेरी खुशियों की कुंजी

रचना 
जी आर कवियूर
15 02 2024

आईना भी सच कहती है

आईना भी सच कहती है

दिल की बातें, चुप रहती हैं  
ख्वाबों में तेरी यादें छाई हैं  
हर सांस में तेरी महक बसी है  
जैसे फूलों में हो खुशबू बिखरी है  

तेरी यादों के साथ रंग भरा है जीवन  
मेरी आँखों में तेरी छवि भरी है  
हर पल तेरी यादों में उलझा हूँ मैं  

तू हर दुआ में मेरी बसी है  
अब तो मेरी धड़कनें भी कहती हैं  
एक दफा तुम मुझे याद करोगी  
आईना भी सच कहती है।

रचना 
जी आर कवियूर
17 02 2024

Sunday, February 11, 2024

फरियाद लेकर आया था (गजल)

फरियाद लेकर आया था (गजल)


दिल बेकरार है, रोज़ तड़पाता है  
उसकी यादों में, रातें बिताता है  

बेवजह ही बिछड़ा, तू मुझसे यारा  
अब तक तेरा इंतजार करता हूँ यारा  

हर दिन जलता है, दिल मेरा दीवाना  
तेरे प्यार की, है ये मेरी कहाना  

तेरी यादों में, दिल रोज बहलता है  
तेरी बातों में, दिल कभी ना ठहरता है  

तेरी बेरुखी से, दिल को चोट खाता है  
तेरी बे-रूखी से, दिल कभी भी साथ नहीं छोड़ता है  

तू मेरे दिल की, धड़कनों में बसा है  
तेरे बिना, ये दिल बेहाला हर वक्त रहता है  

तेरे इश्क की, राहों में खोया हूँ मैं  
तू मेरे लिए, जादू बना है मैं  

आँखों में छाई, है तेरी सूरत ख्वाबों में  
तेरी यादों में, दिल हर वक्त बेहलता है  

तेरे इश्क की, मेरी कहानी अधूरी है  
तू ना आया, जिंदगी बेहाल हर वक्त रहती है  

कितनी चाहत है, तेरे साथ बिताने की  
तेरे बिना, जिंदगी एक सज़ा हर वक्त लगती है


रचना 
जी आर कवियूर
12 02 2024




Saturday, February 10, 2024

काश तू मेरी होती ( गजल )

काश तू मेरी होती ( गजल )


तेरी यादों में नैना भर आई
मगर आंसू दिल पर उतर आई
कश्ती तेरी यादों के साथ
मंजिल को अपने पास ले आई

दर्द भरी ये तक़दीर भी
तेरे प्यार से सहनी होती
काश तू मेरी होती
यह कश्ती जिंदगी की
किनारा देखा होता
यह लम्हे कितना अच्छा होता


सितारों की रौशनी में
तेरी यादों का सफर होता
रात की गहराईयों में
तेरा साथ सिर्फ़ मेरा होता

हर सुबह तेरी मुस्कान से
दिल को रोशनी मिलती होती
काश तू मेरी होती
यह कश्ती जिंदगी की
किनारा देखा होता
यह लम्हे कितना अच्छा होता


रचना 
जी आर कवियूर
09 02 2024

Wednesday, February 7, 2024

कब होगी मुलाकातें

कब होगी मुलाकातें

निगाहें निगाहों से ,निशाने दाग दिए
नाकाम नहीं रह गई ,न जाने कब होगी मुलाकातें

राहतें मिलीं जो कभी, वो भी हैं गुजरीं
दिल को रोशनी दी, पर अभी भी हैं अंधेरीं

ख्वाबों की दुनिया में, चुपचाप सवरे
खोयी हुई बातों में, ढूंढता है दिन रातें

मुस्कुराहटों के पीछे, छुपी हैं आँसुओं की कहानियाँ
कभी हँसते हुए दिखे, पर दिल है उदास और बेगाना

ख़ुशी का सफर है, कठिन और संवर गया
पर दुःख की छाया में, फिर भी दिल है आज़माए

यादें तेरी साथ हैं, जैसे हवा के साथ बादल
दिल की धड़कनों में, तेरी धुंधली यादें बसाए

इस ग़ज़ल में समाहित हैं, अनगिनत ख्वाब और अधूरी चाहतें
जैसे जीना और मरना, एक ही पल में चिपके हों इन्तेज़ारों की राहतें।

रचना 
जी आर कवियूर
08 02 2024

Tuesday, February 6, 2024

दिल हर वक्त याद करता है

दिल हर वक्त याद करता है


अँधेरे की गहराइयों में, चमकते तारे जैसे,
उन लम्हों की रोशनी, हर वक्त चमकते रहें।
सपनों की गलियों में, हँसते हुए चलते,
वो पल बीते हुए, दिल को अब भी बहुत याद आते।

कभी हंसते हुए, कभी रोते हुए चलते,
वो पल बीते हुए, जीवन को सजाते।
बीते वक्त की छाया, हर पल साथ रहे,
दिल के धड़कनों में, उनकी यादें बसे।

जब भी खुशी की बूँदें, आँखों में चमक आए,
वो पल बीते हुए, फिर से जिए जाए।
यादों का सफर, हर रोज़ नया रंग बिखरे,
बीते हुए दोनों की, आवाज़ फिर से गूँजे।

रचना 
जी आर कवियूर
07 02 2024

Sunday, February 4, 2024

मत मारो मुझे तेरी आशिक तो हूं

मत मारो मुझे तेरी आशिक तो हूं


ज़िन्दगी के सफर में, भावनाएँ महकती हैं,
सपनों का सागर, दिल में कुछ खुम्बूं है।

इश्क का जादू, दिल को छू रहा हूं,
पत्थर नहीं, मत मारो, ख्वाबों में बसा हूं।

जीवन के नृत्य में, भावनाएं खिल रही हैं,
सपनों का सागर, दिल में कुछ खुम्बूं है।

आँधीयों में उड़ान, भविष्य की ऊँचाइयों पर,
सिर्फ इश्क में, ना हो जाऊं गिरता हूं।

रात की चाँदनी, मेरे दिल का साथी,
आसमानी रंगों में, छुपा हुआ राज़ी हूं।

दर्द-ओ-ग़म को बहुत समझता हूं,
मुस्कान के पीछे, चुपी खुशीयाँ पहचानता हूं।

आँसुओं की मिठास, प्यार की राहों में,
जीवन की कहानी, हर क़दम पे बढ़ता हूं।

रचना 
जी आर कवियूर
05 02 2024

Saturday, February 3, 2024

है सारा जहाँ हमारा

है सारा जहाँ हमारा

चलो चलें साथ, बनाएं ये कहानी
दिल की धड़कनों में हो सुनी हर ज़ुबानी

पलकों के पीछे छुपी बातें कहा करो
रातें राज़ी हैं, इन तारों से गूंथी जाएं

बरसात की बूंदों में छुपा है सपना
चाँदनी रातों में, हमारा मिलना

मोहब्बत का इजहार करते हैं नजरें
इस दिल की कहानी, हमें ज़बानी से कहें

इन राहों में भटके ये कदम, हम साथ हैं
दिल के राज़ बताएं, ये बातें हमारी

सितारों के साथ रातें बिताएं
आँखों की मस्ती, इस मोसम में छाई है

सागर के किनारे बैठकर, सुनें हम बातें
इस दरिया के पार, हमारी मुलाकातें

इस गज़ल के साथ, है सपनों का सफर
तुम्हारी मुस्कान में, है सारा जहाँ हमारा


रचना 
जी आर कवियूर
04  02 2024

खामोशी के सिवा

खामोशी के सिवा

खामोशी के सिवा
क्या मिला है सिला
यह सिलसिला कब तक

रातों की बेरुखी,
दिलों की तन्हाई,
इस प्यार का सफर,
लम्हों में है राज़।

धूप में छाई है,
चाँदनी की रातें,
बैठे हैं हम यहाँ,
पलकों की पर्वाह ना।

मोहब्बत की राहों में,
उम्मीदों का सफर है।
बातों की गहराईयों में,
दिलों का हमसफ़र है।

चाहत की बारिशों में,
रिश्तों का मौसम बदले।
आँधीयों से खेलने में,
दिल का सफर चले।

रचना 
जी आर कवियूर
03 02 2024

Thursday, February 1, 2024

एक नया सवेरा

एक नया सवेरा  

चमकीली रातों में, सितारे बोल रहे हैं  
समझाएं ना दिल को, कैसे ये दिन धल रहा है  
बैठे हैं ख्वाबों में, मिली है राहों की राह में,
दिल की गहराईयों में, बसी है एक प्यारी सी बात

रुका नहीं ज़िन्दगी, चलती रहे इस कदम की आवाज  
मोहब्बत की मिठास, छू गई है सभी राज  
समय का सागर, बहता है निरंतर  
चलो बदलें राहें, साथ में हैं हम सबकी बहुत बातें

सपनों की ऊँचाईयों में, है एक नया सवेरा  
आशा की किरण, चमकती रहे तुम्हारा दिल

रचना 
जी आर कवियूर
02  02 2024

इश्क की कहानी

इश्क की कहानी

तेरी नज़रों ने मुझे घायल कर दिया
और जमाने ने भी साथ दे दिया

रातें हैं सुनसान, मेरी आहें बसीं हैं
दिल की धड़कनें, तेरे बिना ठहरीं हैं

चाँदनी रातों में, तेरी यादों की बातें
सितारों से कहूं, मेरी रातें रौंगतें हैं

बूंदें गिरीं बरसात की, मेरे दिल की बेहदों
इश्क में खोया, दिल मेरा बेहोश है तेरे बहुत

दिल की गहराईयों में, तू ही साहिल है
ख्वाबों की बुनियाद, तेरे इरादे से हैं

खुशियों की राहों में, तेरा साथ है साथ
जिन्दगी की राहों में, तू है मेरा राह

हर दर्द की राहों में, तू है मेरी मंजिल
इश्क की कहानी, हमारी ज़ुबान पर है

रचना 
जी आर कवियूर
02 02 2024