कब होगी मुलाकातें
निगाहें निगाहों से ,निशाने दाग दिए
नाकाम नहीं रह गई ,न जाने कब होगी मुलाकातें
राहतें मिलीं जो कभी, वो भी हैं गुजरीं
दिल को रोशनी दी, पर अभी भी हैं अंधेरीं
ख्वाबों की दुनिया में, चुपचाप सवरे
खोयी हुई बातों में, ढूंढता है दिन रातें
मुस्कुराहटों के पीछे, छुपी हैं आँसुओं की कहानियाँ
कभी हँसते हुए दिखे, पर दिल है उदास और बेगाना
ख़ुशी का सफर है, कठिन और संवर गया
पर दुःख की छाया में, फिर भी दिल है आज़माए
यादें तेरी साथ हैं, जैसे हवा के साथ बादल
दिल की धड़कनों में, तेरी धुंधली यादें बसाए
इस ग़ज़ल में समाहित हैं, अनगिनत ख्वाब और अधूरी चाहतें
जैसे जीना और मरना, एक ही पल में चिपके हों इन्तेज़ारों की राहतें।
रचना
जी आर कवियूर
08 02 2024
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