तुम नहीं तो गम भरी
दिन ही है आज मेरी
जाने क्यों सताती है यादें तेरी
तेरे बिना ज़िंदगी सुनी
क्योंकि तू नहीं है मेरी
बहारें भी लगतीं सूनी
कहीं खो गई है चाँदनी
दिल की हर धड़कन में तू
ख्वाबों में भी बसी है तू
हर रोज़ तेरी यादों में
जी लूँ मैं फिर भी मरी
तेरी रूह का साया मेरे
हर अंधेरे में रोशनी
तेरे बिना अधूरी है ज़िंदगी
तू मेरी खुशियों की कुंजी
रचना
जी आर कवियूर
15 02 2024
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