Tuesday, May 14, 2024

आज भी याद करता हूं (गजल)

आज भी याद करता हूं (गजल)


आपके अरमानों को
आज भी याद करता हूं
मगर सहलाने की ताकत
उन दिनों में हमें नहीं थी

बीते वक्त की यादों में
खोया हूं अक्सर मैं
दिल के कई राज़ छुपे हैं
जिन्हें अब भी न खोलूं मैं

धुंधला सा रहता है ख्वाबों में
तेरा चेहरा बसा है
आँखों में छुपी बेखुदी
अब तक जीने ना पाया है

क्या कहूं किसे ये दर्द
जो छू लेता है हर पल
तेरी यादों का करवा सच
अब तक निभाया है

आज भी तेरी तलाश में
गुम हूं अपनी ही राहों में
तेरे अरमानों को साथ ले कर
बस चल रहा हूं अब तक मैं।

रचना 
जी आर कवियूर
15 05 2024



Saturday, May 11, 2024

ख्वाबों को सजाता हूं। (गजल)

ख्वाबों को सजाता हूं। (गजल)

यह किस्मत कितनी अजीब है
फासले कितने भी हो  मगर
तेरे साथ में  जीने की तमन्ना है
मगर यादों  की भीड़ में खोया हूं

सपनों की दुनिया में खोया हूं
तेरे बिना अधूरा सा लगता हूं
कितनी बारिशों में भिगोया हूं
तेरी यादों के साथ रोया हूं

बीते पलों को फिर से जीने की आस है
तेरी मोहब्बत में डूबे हुए ये रातें
दिल की धड़कनों में बसी तेरी बातें
अब तक न जाने क्यों तेरी यादों में ही रहता हूं

ख्वाबों की दुनिया में खोया हूं
तेरे बिना अधूरा सा लगता हूं
साथ तेरे चलने की चाहत में
अपने ख्वाबों को सजाता हूं।

रचना 
जी आर कवियूर
12 05 2024

Sunday, May 5, 2024

तेरी यादों से भरी हुई

तेरी यादों से भरी हुई

तनहाई ने मेरे तमन्नाओं को
खालिस कर दिया
फिर भी ख्वाब रह गया
तेरे लिए तलाश इन वादीयो में

रात के साये में खोई बातें तेरी  
दिल के कोने में बसी यादें तेरी  
चाँदनी की किरनों में छुपी रातें  
तेरी धड़कनों की गहराई में बातें  

तेरी खुशबू में मिली खुशियाँ तो  
ज़िन्दगी ने मिटा दी गमों की बातें  
ख्वाबों के रास्तों में बिखरी बारिशें  
तेरी यादों की मिट्टी से बनी चादर  

आँखों में बसी हुई तेरी मुस्कान  
सपनों के गहराई में छुपी खोज  
तेरी चाहत के रास्ते पे खोया  
तेरी यादों से भरी हुई ये कविता

रचना 
जी आर कवियूर
05 05 2024

Saturday, May 4, 2024

तू नज़रों में है

तू नज़रों में है


नजर नजरों से मिली
बात बाकी रह गई
अधूरा सा दिल में
छू गई तनहाई में  मन 

दर्द का गीत गाता हूँ
सितारों से बस बातें करता हूँ
रातें गुजर जाती हैं
ख्वाबों में तेरी बातें लिखता हूँ

दिल की धड़कनों में
तेरा ही नाम लिखता हूँ
जिंदगी की कश्ती में
तू ही सहारा चाहता हूँ

हर ख्वाब तेरा
हर ख्वाहिश तेरी मनचाही है
तू नज़रों में है
तेरी ही तलाश में बेरहमी से बहता हूँ

रचना 
जी आर कवियूर
04 05 2024

Friday, May 3, 2024

पाया सा रहा। (गजल)

पाया सा रहा। (गजल)


तेरे करीब आकर
दिल में इतना सुकून पाया
तन्हाई से बच निकला
तमन्ना की राह में
न जाने किधर खो गया

ख्वाबों की दुनिया में
हर ख्वाब सच लगने लगा
ज़िंदगी के सफ़र में
तेरे साथ साथ चलने लगा

दिल की हर धड़कन में
तेरा ही नाम बसने लगा
चाहत की राहों में
तेरी यादों का मेहल बसने लगा

खुशियों की बहारों में
तेरा चेहरा मुस्काने लगा
दर्द की रातों में
तेरी बातों की कहानी गुनगुनाने लगा

हर पल तेरी यादों में
खोया सा रहा, भूला सा रहा
तेरी चाहत में, मोहब्बत में
अपना सब कुछ खोया, पाया सा रहा।

रचना 
जी आर कवियूर
03 05 2024