Sunday, December 25, 2022
कितना बुरा जुलुम हुआ मुझपर
Sunday, December 18, 2022
बीते हुए दिनों की यादें मैं
Saturday, December 17, 2022
कह दो
कह दो
जोभी कहुं कहता रहूँ
कहने को क्या कहुं
इतना भी कह दे
इशारो से इशारो तक
गरमीयो में सावन जैसे
खिलती हुवी फुले
तेरी लबोपे नजर आये
दिल बोल ऊठे की
कुछ तो है जो
बोलने को बेचें है
कह डालो वर्णा
टूट जावोगे की
तुम हमें करते हो प्यार
जी आर कवियुर
मेरी कविता
मेरी कविता
जीता हूं इस जिंदगी के मेलोमे
अजनभी बनकर रहताहूँ
दुविथा या सुविधा है मेरे सात
दिलसे उतर आती है वो
दिल और दिमागसे
लबोसे उंगली योसे
उतर आती हो
कलम से कागज़ पर
उसे देख लोग कहते है
मुझे पागल सुनकर में
हो जाता हूं घायल
तू मेरी आश्वास विश्वास
जीने का आधार
तुहि मेरा संसार
तुहि तुहो मेरी कविता
जी आर कवियुर
18 12 2022
बिछट ने केलिए
बिछट ने केलिए
इतना भी क्यूं बेचेनिया
खाये मेरे दिलको
तेरे बिना होताहै
इस कदर बेकरारी
पायामेने सुखुन
इस खामोशीयोसे
तेरे बिना मेरे यारा
तन्हाई भी अच्छा लगता है
मगर इस हालमे
जीनही सकता
क्यों इस तरह कुदरत ने
बनाये है प्यार बनके
बिछट ने केलिए
जी आर कवियुर