बिछट ने केलिए
इतना भी क्यूं बेचेनिया
खाये मेरे दिलको
तेरे बिना होताहै
इस कदर बेकरारी
पायामेने सुखुन
इस खामोशीयोसे
तेरे बिना मेरे यारा
तन्हाई भी अच्छा लगता है
मगर इस हालमे
जीनही सकता
क्यों इस तरह कुदरत ने
बनाये है प्यार बनके
बिछट ने केलिए
जी आर कवियुर
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