बीते हुए दिनों की यादें मैं
भीगे हुए बरसात की रातों में
बाहों में बाहें लिए जाते थे
यादों की बूंदे अब भी ताजा है
मन अब भी जवानी में
दोहराने से झूठ नहीं होती है
कह दे यह कहानी सच्ची है
फिर भी तेरी मेरी बातें अधूरी है
क्यों यह अब भी मजबूरी है
जिंदगी की राहों में
दो दिलों की मेले में
बने बिगड़े बातें हैं
प्यार लिए जाते हैं
भाग्य किसी का होता है
भूल को कुबूल लिए जाते हैं
बंदी चाहते निकाह में बदले जाते हैं
यही फेरा लिया जाता है
भीगी हुई बरसात की रातों में
मैं और तुम साथ साथ रहे
आज भी वो रात याद है
बीते हुए दिनों की यादें
मुझे शायर बना के छोड़ेंगे
जी आर कवियूर
19 12 2022
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