Sunday, December 18, 2022

बीते हुए दिनों की यादें मैं

बीते हुए दिनों की यादें  मैं


भीगे हुए बरसात की रातों में
बाहों में बाहें लिए जाते थे
यादों की बूंदे अब भी ताजा है
मन अब भी जवानी में

दोहराने से झूठ नहीं होती है
कह दे यह कहानी सच्ची है
फिर भी तेरी मेरी बातें अधूरी है
क्यों यह अब भी मजबूरी है 

जिंदगी की राहों में
दो दिलों की मेले में 
बने बिगड़े बातें हैं
प्यार लिए जाते हैं

भाग्य किसी का होता है
भूल को कुबूल लिए जाते हैं
बंदी चाहते निकाह में बदले जाते हैं
यही फेरा लिया जाता है

भीगी हुई बरसात की रातों में
मैं और तुम साथ साथ रहे
आज भी वो रात याद है
बीते हुए दिनों की यादें
मुझे शायर बना के छोड़ेंगे

जी आर कवियूर
19 12 2022










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