Sunday, December 25, 2022

कितना बुरा जुलुम हुआ मुझपर

आई हंसी तेरे होठों पर देख
चांद समझ बैठ गया
लिखें नगमे तेरे लिए 
और मैं क्या कहूं

नासमझ बनकर तूने
मेरे लिखा  हुआ 
कागज फाड़ दिए 
पहुंचे  ट्रेस कलेजे में
 
मगर रूठे हुए तुम्हें 
मनाने के लिए 
गला फाड़ कर
गाया मैंने गजल

सुनकर लोग गूंज उठे
तालियां से लेकिन
तू तो ना समझ पाई
मेरी प्यार का इजहार
यह ज़ालिम वक्त
कितना बुरा जुलुम हुआ  मुझपर


जी आर कवियूर

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