मेरी कविता
जीता हूं इस जिंदगी के मेलोमे
अजनभी बनकर रहताहूँ
दुविथा या सुविधा है मेरे सात
दिलसे उतर आती है वो
दिल और दिमागसे
लबोसे उंगली योसे
उतर आती हो
कलम से कागज़ पर
उसे देख लोग कहते है
मुझे पागल सुनकर में
हो जाता हूं घायल
तू मेरी आश्वास विश्वास
जीने का आधार
तुहि मेरा संसार
तुहि तुहो मेरी कविता
जी आर कवियुर
18 12 2022
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