Saturday, December 17, 2022

रहे हमेशा

रात  गुजरी शांत से 
नींदे हुयी आरामसे 
तुभी रूटे तो वह 
सपना भी क्यों रूटे 

टूटी हुवी इरादे 
जोड़ने को नहीं हुवे 
अनसुनी कहानियो को 
बुनता गया आखिर 
कितने दिन यह चलेगी 

रात और दिन की मेल 
मिलाप हो के ही रहेगी 
नींद सात रहे हमेशा
तुभी रहे हमेशा 

जी आर कवियुर 

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