रात गुजरी शांत से
नींदे हुयी आरामसे
तुभी रूटे तो वह
सपना भी क्यों रूटे
टूटी हुवी इरादे
जोड़ने को नहीं हुवे
अनसुनी कहानियो को
बुनता गया आखिर
कितने दिन यह चलेगी
रात और दिन की मेल
मिलाप हो के ही रहेगी
नींद सात रहे हमेशा
तुभी रहे हमेशा
जी आर कवियुर
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