तू ही तू
तेरे होठों में खिले
गुलाब की लाली
मुस्कुराने से
महक के चमेली
तुम संग रहे
वह सावन की दिन है
आज भी भुला न पाया
सनम इस बेकरारी सहा नहीं जाता
तुम कब आए तो
हवा का झोंका भी
बदल जाए जिस तरह
सागर में लहरे
मेरी शेर शायरी गजलो
में नजर उठाए
तू ही तू
रचना
जी आर कवियूर
20 06 2023