Saturday, November 9, 2019

तेरी नजरिया ---जी आर कवियुर

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आके गावु तेरे महफ़िल में
आँख भर आई गुजरे दिनों के
आशियानों के डगरपे तेरी
आशिक बनकर रहता था यादो पे !

सात सुरो की सरगम में
हर गम भुलाने की कशिश में सनम
नरम और गरम की चाहत थे  हर दम
होनी अनहोनियों को कोईना टाल सका  ।

आई नहीं निंदिया दूर दूर थक मन
लायी तेरी यादो की बरसात गजलों में
जाली चोभारो को  भी फनकार निकल पड़ा
जावु कहाँ हर जागो पर तेरी नजरिया ही है ।

ग़ज़ल
जी आर कवियुर
09 11  2019