आके गावु तेरे महफ़िल में
आँख भर आई गुजरे दिनों के
आशियानों के डगरपे तेरी
आशिक बनकर रहता था यादो पे !
सात सुरो की सरगम में
हर गम भुलाने की कशिश में सनम
नरम और गरम की चाहत थे हर दम
होनी अनहोनियों को कोईना टाल सका ।
आई नहीं निंदिया दूर दूर थक मन
लायी तेरी यादो की बरसात गजलों में
जाली चोभारो को भी फनकार निकल पड़ा
जावु कहाँ हर जागो पर तेरी नजरिया ही है ।
ग़ज़ल
जी आर कवियुर
09 11 2019