Sunday, November 28, 2021

मिलता नहीं - कविता

 मिलता नहीं - कविता 


वक्तकी आगे न मुझे मिलेग।

किसा है किस्मतकी देन से 

कहता रहा ये सिनसिला 

चलता रहा  राहे लम्बी 


तू  कब मिलेगी मेरेलिए 

जनम जन्मसे टुन्द्ता चला 

पास आयेतो  तू दूर गयी 

क्यों होता है इसकदर 


तेरे नेनो के सिवाये

मुझे दिकता नहीं 

दीवालिका दिया जैसे 

दिलमे चमक दमकता है    


वक्तकी आगे न मुझे मिलेग।

किसा है किस्मतकी देन से 

कहता रहा ये सिनसिला 

चलता रहा  राहे लम्बी 


 जी आर कवियुर  

Wednesday, November 10, 2021

दुनियासे कहताहूं तेरेलिए - कविता

दुनियासे कहताहूं तेरेलिए  - कविता 


ललकारता हूं  तरेलिए 

 लाखों दफा  दुनियासे 

लेकिन तू नहीं जाने 

दिलगी  मेरी सनम 


लगता नही तेरे बिना 

दिलकी लगन मुझे 

लाजबिल्कुल नहीं

दिलाशासे जिता हूँ तेरे लिये 


लबोमे तेरे नामके सिवा 

लगता नही कुछभी 

लोग मुझे कहते पागल आशिक आवारा 

लंबी नहीं लमहे इस जिंतगिका 


लिखता हूं नग्मे तेरे लिए सनम 

लेकिन तुम जानती हो इने 

ललकारता हूं  तरेलिए 

लान्कोदफा  दुनियासे 


जी आर कवियुर 

10.11.2021