Sunday, November 28, 2021

मिलता नहीं - कविता

 मिलता नहीं - कविता 


वक्तकी आगे न मुझे मिलेग।

किसा है किस्मतकी देन से 

कहता रहा ये सिनसिला 

चलता रहा  राहे लम्बी 


तू  कब मिलेगी मेरेलिए 

जनम जन्मसे टुन्द्ता चला 

पास आयेतो  तू दूर गयी 

क्यों होता है इसकदर 


तेरे नेनो के सिवाये

मुझे दिकता नहीं 

दीवालिका दिया जैसे 

दिलमे चमक दमकता है    


वक्तकी आगे न मुझे मिलेग।

किसा है किस्मतकी देन से 

कहता रहा ये सिनसिला 

चलता रहा  राहे लम्बी 


 जी आर कवियुर  

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