Wednesday, May 25, 2011

तेरे लिए ............

तेरे लिए ............ 
प्यार को लेकर जा पहुंचा हुं
चाँद सितारों के आँगन में 
जगमगा रहे है दिल की दर्पण पे    
तेरी सूरत की मूरत
दिल के सूरज पे
आई हुई बादल ने    
छिपाई तेरी चमकती 
मोती भरी इस मुखमंडल को परदे से
पाऊँ कैसे इस प्यार को में 
घायल  होकर फिरता हुं
शायर बनके लिखू केसे
तेरी बोली तो  समझता  हुं
तेरी आंखें में लिखी हुई 
नंगमे  चुरा कर लिखता हुं   
फिर भी तू  समझे
काजल जैसी बादल को          

Saturday, May 14, 2011

हर गम पे -------- जी आर कवियूर

हर गम पे -------- जी आर कवियूर
बसा दू तेरी यादों को,  
दिल के बसेरा की  छाव पर 
मगर  तू नहीं जानती 
मन कितना मायूस है 
अलग कर दिया गया ,
हालात के अंगारों ने 
चल रहा था नंगे  पाव से ,
जलती हुई इन तनहाई भरी राहों  पर 
 ढूंढता गया हर चलने की आहट पर ,
उठती हुई इन लहरों पे 
पाई तेरी दिल्लगी 
शून्य  आंखें  ने दिखाई 
चमक दमक तेरी सितारों पे 
मुझे भा गई तेरी सतरंगी मुस्कान 
इन परछाईयो  में 
तेरी बोली  मैने सुनी 
कोयल की जुबानों से 
तेरी खुशबु लाई  हवा के झोंका ने  
बरसात की पहली बुन्दो से
ढलती   गई चाँदनी बादलो के उभरआने से 
 पुनः लुप्त हो गई बादलो के आने से 
निराश हो उठा मन,
पाई तुमे छलकते हुवे जाम के प्याले पे 
तेरी नशीली आंखें की चमक 
मद होश कर गई इन पंक्तियों से 
जिया न जा सकता जनम 
हर गम पे ,तेरे लिए जनम       
         

Wednesday, March 30, 2011

मेरी यादोमे तू (गजल ) जी आर कवियूर

मेरी यादोमे तू  (गजल  ) जी आर कवियूर
आज मगर तू इस कदर लगती हो 
चाँद और चांदनी शर्मा जाते है ।
तेरे सामने आते ही 
फुल भी लगती है बहार ।
तेरे पलके झपक ते ही
तारे भी कम लगते है ।
तेरी बोली सुनकर 
कोयल भी चुप हो जाती  है ।
तेरे गुगट उठते   ही
सूरज भी बादल में चुप जाते है ।
तेरे होटो  की मुस्कान से 
दिल की आग बुत जाती है ।
तेरे याद नहीं रहते तो 
में कबका   बिदा हो जाता ।
जीदर भी देखता तो हमें 
तुही तु नजर आती हो     ॥