Wednesday, March 30, 2011

मेरी यादोमे तू (गजल ) जी आर कवियूर

मेरी यादोमे तू  (गजल  ) जी आर कवियूर
आज मगर तू इस कदर लगती हो 
चाँद और चांदनी शर्मा जाते है ।
तेरे सामने आते ही 
फुल भी लगती है बहार ।
तेरे पलके झपक ते ही
तारे भी कम लगते है ।
तेरी बोली सुनकर 
कोयल भी चुप हो जाती  है ।
तेरे गुगट उठते   ही
सूरज भी बादल में चुप जाते है ।
तेरे होटो  की मुस्कान से 
दिल की आग बुत जाती है ।
तेरे याद नहीं रहते तो 
में कबका   बिदा हो जाता ।
जीदर भी देखता तो हमें 
तुही तु नजर आती हो     ॥