Thursday, October 29, 2020

ग़ज़ले जानम

 

ग़ज़ले जानम


हुस्न की चादर ओढ़ कर

आई तू महफिल में इस कदर 

दर्दे ग़ज़ल की सुर्खियां 

दरवाजे पर आने तक गूंजता गया


गली-गली पीछा किया और 

दरवाजे पर ऑन कर रूठ गई

दवा दारू न काम आया

वारु की आवाज आए तो


तू कहां चली गई दबे पाव

आओ जरा और गुनगुन आओ 

फिर से आय आंसुओं की 

स्वाद लबों पे जानम.....


हुस्न की चादर ओढ़ कर

आई तू महफिल में इस कदर 

दर्दे ग़ज़ल की सुर्खियां 

दरवाजे पर आने तक गूंजता गया


जीअर काविुर

30.10.2020

5:04 am

Tuesday, August 25, 2020

तेरे लिए

तेरे लिए....

मुद्दतों के बाद मिला है .
तेरी होठों में यह हंसी क्या बताऊं .
हो गया दीवाना इतना जनम जनम से 
चाहता था कैसे खिले चेहरे को देख 

लिखूं तो लिखूं क्या 
उंगलियों भी रुक गई 
मगर दिल नहीं माना 
कितने बार लिखा और काट दिए

कब मैं पूरा इस नगमे को
रूठ ना जाना सनम 
लिखता रहूं ऐसे जिंदगी भर तेरे लिए
रूठ ना जाना सनम 
लिखता रहूं ऐसे जिंदगी भर तेरे लिए..

जी आर  कवियूर

Thursday, July 23, 2020

तेरे सिवा ...(कविता )

तेरे सिवा ...(कविता )

तेरे सिवा मेरा कोई नहीं है 
तुम बिना नहीं जिया जाएगा इस दुनिया में
चांद सितारों की तले जी रहा हूं
चंद दिनों की इस जीवन के मेले में ll

 रात की नींद गई और सपने भी टूट गए
राह देखते-देखते आंखें लाल हो गई
रहा नहीं जाता और इस दुनिया में
रहमत है तेरा सहारा ही सही ll
 
रात दिन एक हो गई मेरी 
तन्हाई के आतंक मुझे लूट रहे हैं
तन मन अर्पण कर दो अब तो
आओ बाहों में ले लो ll

तुम बिना नहीं जिया जाएगा इस दुनिया में
चांद सितारों की तले जी रहा हूं
चंद दिनों की इस जीवन के मेले में
तेरे सिवा मेरा कोई नहीं है ll

जीआर कवियूर
23.07.2020.

Saturday, June 13, 2020

जवानों को प्रणाम

जवानों को प्रणाम. (Translation from malayalam)

भारत के माटी को सीने से लगाए
 फौजी है मेरी अभिमान
 पिघलते हुए सर्दी में और 
जलते हुए धूप में लड़ते हुए धीर 

भारत के माटी का रखवाली करते हैं 
अपने देश की नक्शे को बरकरार रखें
 दुश्मनों की गोलियों से अमर रहकर वे
 अपनी देश की तिरंगा ओढ़ कर

 देश लौट कर सब को दुखी करके
 चले जाते हैं आंसू बहा के 
याद करो इन सैनिकों को मेरे भाई 
अर्पण करते हैं इनको 

समर्पण भरी प्रार्थना से 
ले और कश्मीर की चोटियों 
लडाख सियाचिन बर्फीली चोटियों को
 देखरेख करते रहते हैं वे 

वे भारत के लिए मर मिटते हैं 
मां की चरणों को छूकर
 उसे प्रणाम से अधिक देखते हैं 
पिताजी पुकारते हुए औलाद को
 सीने से लगाकर घर छोड़ते हैं 
यह वीर जवानों को मेरा प्रणाम

मेरी गम (गजल)


मेरी गम (गजल)

और गम लेकर जुदाई के
 सौगात करूं कैसे 
मन अपनी रास्ते पर खोजें 
तेरी नैनो की रंग भरी दिवाली

 तरसे होठों का 
चाहत इतना भी है 
फिसल गई हाथ से 
जाम और जानम भी 

टूटे हुए दिल की लंबे
 ढूंढते रह गए 
तेरी आशियाना ओ को 
मगर मिला नहीं अंजुमन तेरी

 जीआर कवियाूर
14.06.2020

Friday, June 5, 2020

भीकरे तेरी राहोप्पे ....


भीकरे तेरी  राहोप्पे

रात  गयी तो बात  कोई न समजे
मुलाकात कितनी बी हो गये 
शाम और रात   गुजरगाये   
दिलकी लगी आग कोईना भुजाये 

तेरी अश्को से बरी गीला हुवा  चादर  
वे  रहे  फिर भी  खामोश  इसकदर 
आये गये ऋतुवसे तेरी आनेकी इंतजार   
हरेक  सासोमे ,  हरेक आहट  मे तेरी      

आनेकी  उम्मीदोपपे  जीराहुमे  
तेरे  बारेमे  कहगई  कोयल  
हवावोमेभी  तेरी  अनमोल  महक  
पुलभी  खिलके  भीकरे तेरी  राहोप्पे 

 जी आर कवियुर 
05 06 2020

Thursday, April 30, 2020

समय की दूरी

समय की दूरी


सफरोकि जिंदगी में
काम्याबी के डगरपे
किस  कदर  रखु मे तेरे
किस्सो को  बेनक्काब ॥

दूप और  छाव  केलिए
आशियानो पे हर कदम
ढूंढ़ता  चला  तेरी नेनोतले
हरवक्त दिलगी मचलती गई ॥

तडपता रहगया इस दुनियाकी
तकलीफ भरे दिनोमे खोजता तुम्हे
तारीफ करूकिसको तुजे बनाया
तेरीमेरी बिचकि दूरी करगया समय ॥

जी आर कवियुर
30/04/2020

तेरे बिना

तेरे बिना - कविता


तेरी बाहों में रहजावूंगा
तेरी आंखो में छुपजावूंगा
तेरी ओठ में भरजावूजा
तेरी पायलमे रुख्जावूंगा

तेरी निन्दियामे गुस्जावूंगा
तेरी सपनामे समाजावूंगा
तुमरे बनकर रहजावोगे
तू तमन्नावोके दिलमे खोजना 

तसवीरोके रंग निखारे
तोबा तोबा मेंक्या लिखकर
तुम्हे दिलमे रखकर
तुमबिन कैसे रहजा वुरे

तेरी बाहों में रहजावूंगा
तेरी आंखो में छुपजावूंगा
तेरी ओठ में भरजावूजा
तेरी पायलमे रुख्जावूंगा

जी आर कवियुर
30/04/2020