ग़ज़ले जानम
हुस्न की चादर ओढ़ कर
आई तू महफिल में इस कदर
दर्दे ग़ज़ल की सुर्खियां
दरवाजे पर आने तक गूंजता गया
गली-गली पीछा किया और
दरवाजे पर ऑन कर रूठ गई
दवा दारू न काम आया
वारु की आवाज आए तो
तू कहां चली गई दबे पाव
आओ जरा और गुनगुन आओ
फिर से आय आंसुओं की
स्वाद लबों पे जानम.....
हुस्न की चादर ओढ़ कर
आई तू महफिल में इस कदर
दर्दे ग़ज़ल की सुर्खियां
दरवाजे पर आने तक गूंजता गया
जीअर काविुर
30.10.2020
5:04 am