Tuesday, September 7, 2021

कहा दूँद चला

दिलगी   राहे दूँद चला 

टुटीहुई तारोकि तलाश मैं

जाग ऊटी तनमनमे   

तुजे पानेकी तमनना


रेतकी दुपमे , क्याबतावे 

तरसता रहगया पानिकेलिए

कोई भी ना आया दिलकी 

हालचाल पूछने सिवाए 

हवा और चाँद सितारे के सिवाए


तरस खाता हूं 

 दुनियाके  हर मेलेमै । 

 सिवाए मेरे दोस्तोंके 

हमदर्दियोसे मन हुवा चंगा 

और कहा दूँडे दिलके सिवा 


जी आर कवियुर