दिलगी राहे दूँद चला
टुटीहुई तारोकि तलाश मैं
जाग ऊटी तनमनमे
तुजे पानेकी तमनना
रेतकी दुपमे , क्याबतावे
तरसता रहगया पानिकेलिए
कोई भी ना आया दिलकी
हालचाल पूछने सिवाए
हवा और चाँद सितारे के सिवाए
तरस खाता हूं
दुनियाके हर मेलेमै ।
सिवाए मेरे दोस्तोंके
हमदर्दियोसे मन हुवा चंगा
और कहा दूँडे दिलके सिवा
जी आर कवियुर