Thursday, October 29, 2020

ग़ज़ले जानम

 

ग़ज़ले जानम


हुस्न की चादर ओढ़ कर

आई तू महफिल में इस कदर 

दर्दे ग़ज़ल की सुर्खियां 

दरवाजे पर आने तक गूंजता गया


गली-गली पीछा किया और 

दरवाजे पर ऑन कर रूठ गई

दवा दारू न काम आया

वारु की आवाज आए तो


तू कहां चली गई दबे पाव

आओ जरा और गुनगुन आओ 

फिर से आय आंसुओं की 

स्वाद लबों पे जानम.....


हुस्न की चादर ओढ़ कर

आई तू महफिल में इस कदर 

दर्दे ग़ज़ल की सुर्खियां 

दरवाजे पर आने तक गूंजता गया


जीअर काविुर

30.10.2020

5:04 am