लेचल
ले लो मुझे बाहों में
दिल की सारा आंखों में
आज तुम मुझे ले चल
निगाहों में निंदिया के
राहों में सपने की सुहानों में
आंचल की उड़ानों में
हम तुम रहे किनारे में
नदी की बाहों में
आज तो मुझे ले चल
ले लो मुझे बाहों में
सांसे बरी सन्नाटो से
संसार की सहरों में
तू ही मेरे राहों में
रुकना नहीं दिल की
लगी लगानों में
तारे की चमक दमक में
ले लो मुझे बाहों में
दिल की सरआंखों में
आज तू मुझे ले चल
निगाहों में निंदिया के
राहो में सपनों की सुहाने में
जी आर कवियुर
24 .10 .2021