Saturday, October 23, 2021

लेचल

 लेचल 


 ले लो मुझे बाहों में

 दिल की सारा आंखों में

 आज तुम मुझे ले चल


निगाहों में निंदिया के

 राहों में सपने की सुहानों में 

आंचल की उड़ानों में

 हम तुम रहे किनारे में 

नदी की बाहों में 

आज तो मुझे ले चल

 ले लो मुझे बाहों में 


सांसे बरी सन्नाटो से 

संसार की सहरों में

 तू ही मेरे राहों में 

रुकना नहीं दिल की 

लगी लगानों में 

तारे की चमक दमक में


 ले लो मुझे बाहों में

 दिल की सरआंखों में 

आज तू मुझे ले चल

 निगाहों में निंदिया के

 राहो में  सपनों की सुहाने में


जी आर कवियुर 

24 .10 .2021