Monday, February 27, 2023

उसकी छाया पर

उसकी छाया पर

तू ही मेरी आरजू का
पसाना ओ सनम
तेरे लिए मैं जान भी गवा दूंगा
हुस्न की तबस्सुम देख
मैं मुझे ही भूल गया हूं

आखिर क्यों तुम दूर दूर तक 
भागती चली जाती हो
तेरे चेहरे पर चांद
आंखों में सितारे देख
होश खो बैठा हूं
मगर तू क्यों पास नहीं आती हो

रितु बदल बदल कर
बीते हुए सावन को 
आज भी याद कर
तड़पता रहता है
हे हुस्न तेरे लिए सब कुछ  
निछावर कर दूं 
हाय जिंदगी तू एक पहेली  
बनकर जीने को 
आदि कर दे ते हो 
उसकी छाया पर

जी आर कवियूर
28 02 2023


Saturday, February 25, 2023

मुझे जीने की...( गजल)

मुझे जीने की...( गजल)

आ आ आ
आपकी अदाएं
मुझे जीने की हौसला देती है

है खुदा मेरे लिए एक खोसला
 बना दीजिए ताकि 
उसके साथ जीने का 
पनाह मिल जाए

हाय यह नजर नजर से मिल ना पायl
उसकी आंखों ने मार डाला

आ आ आ आ 

तुझे मिल गई तो 
जिंदगी सुहाना हो जाए 
किसी को भी

आ आ आ
आपकी अदाएं
मुझे जीने की हौसला देती है


जी आर कवियूर
26 02 2023


Monday, February 20, 2023

गम ना हो

गम ना हो

प्यार हो जैसा कोई
 गम ना हो तेरे सिवा
 कहने को तो दम जैसा
वहां के इस दो लब मैं हो
इस तरह कहते हैं
मोहब्बत को प्रेम
जो निकल जाता है
तू जब रूठ कर
चले जाते हो दूर
वापस लौट आए तो
सुकून मिले जैसा की
पा गए मंजिल और महफिल
काश ऐसा होता तो
 कितना अच्छा लगता
प्यार हो जैसा कोई 
गम ना हो तेरे जैसा

जी आर कवियूर
20 02 2023

Friday, February 17, 2023

संभालो मुझे

संभालो मुझे

कितने फुर्सत में तेरे आंखों को सजाया है
कितनी खामोशियों से तेरी होठों को बनाया है
कितनी प्यार से सवारा है तेरी गालों को
कितनी नाजुक हाथों से छुआ है तेरी हृदय को

हे रब मुझे क्यों इतना सुंदर संवारा नहीं
कुछ तो रहमत  होता तो मैं भी आज तुझसे
इतनी शिकायत ना करता
फिर भी तूने जो दिया
जो कुछ से सुकून रहना चाहता हूं 
मगर यह सब देख
मुझसे संभाला नहीं जा है 
थोड़ा रहम करो
मेरे इस हाल को सुधार दो 
आखिर तुम भी एक खुदा हो

जी आर कवियूर  
18 02 2023

Thursday, February 16, 2023

तनमन जल उठे

तनमन जल उठे


तेरी नैनो की खातिर
तरसते रहे इस तरह
तनहाई बरसते रहे
तनमन जल उठे

निंदिया रूठ कर चल बसे
हाल अपनी देखकर
चांद मुस्कुराते रहे
हवा खिल्ली उड़ाते रहे

मन के डोर खींचते चले
तू पतंग जैसे उड़ के चली


आ भी जा रितु बादल
वीराना में छुपकर अच्छा लगता है
तेरी नैनो की खातिर तरसते रहे
तनहाई बरसते रहे 
तनमन जल उठे

जी आर कवियूर  
16 02 2023

Wednesday, February 15, 2023

तेरे बगैर ( गजल )

तेरे बगैर ( गजल )

तेरे बगैर जीना दुश्वार हो गया है
तेरी यादों के मंजर पर घूमता रहा हूं
प्यासा हूं इस तरह तेरी प्यार पाने के लिए
नींद नहीं चैन नहीं आंखें तरस रही है तेरे लिए

चांद सितारों जगमगाते रहे 
तेरे सोच में मैं बावला बनता गया
तन्हाई के आलम ने मुझे 
शायर बना दिया 
कितना भी लिखेगा हूं
कम महसूस हुए तेरे बगैर

तेरे बगैर जीना दुश्वार हो गया है
तेरी यादों के मंजर पर घूमता रहा हूं

लेखक
जी आर कवियूर  
15 02 2023

Thursday, February 9, 2023

मेरे नैनों से ( ग़ज़ल)

मेरे नैनों से ( ग़ज़ल)

मेरे नैनों से
तूने निंदिया चुराई
करवट बदलते बदलते
रात कट गई
ना हुआ सपना
ना तू आई दिलरुबा

खामोशियों में
सोचता रहा
तेरी मुस्कुराहट की 
आहट पे 
दिल की धड़कन
बढ़ते गई यारा

तनहाई और नहीं सहा नहीं जाए
मेरे नैनों से
तूने निंदिया चुराई

लेखक
जी आर कवियूर

Tuesday, February 7, 2023

गजल- जाने क्यों

गजल- जाने क्यों

जाने क्यों मुलाकात ना हो सका
जानता हूं तेरे बात को अच्छी तरह
जानता हूं तेरे बात को अच्छी तरह
जाने क्यों मुलाकात ना हो सका
जाने क्यों मुलाकात ना हो सका

जिंदगी के इस राह पर खड़ा हूं
तेरी नैनो की झलक पाने के लिए 
क्या कोई बता दे , यही है क्या
मोहब्बत की दास्तान


जाने क्यों मुलाकात ना हो सका
जानता हूं तेरे बात को अच्छी तरह
जानता हूं तेरे बात को अच्छी तरह
जाने क्यों मुलाकात ना हो सका,

जी आर कवियूर