Thursday, February 16, 2023

तनमन जल उठे

तनमन जल उठे


तेरी नैनो की खातिर
तरसते रहे इस तरह
तनहाई बरसते रहे
तनमन जल उठे

निंदिया रूठ कर चल बसे
हाल अपनी देखकर
चांद मुस्कुराते रहे
हवा खिल्ली उड़ाते रहे

मन के डोर खींचते चले
तू पतंग जैसे उड़ के चली


आ भी जा रितु बादल
वीराना में छुपकर अच्छा लगता है
तेरी नैनो की खातिर तरसते रहे
तनहाई बरसते रहे 
तनमन जल उठे

जी आर कवियूर  
16 02 2023

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