तनमन जल उठे
तेरी नैनो की खातिर
तरसते रहे इस तरह
तनहाई बरसते रहे
तनमन जल उठे
निंदिया रूठ कर चल बसे
हाल अपनी देखकर
चांद मुस्कुराते रहे
हवा खिल्ली उड़ाते रहे
मन के डोर खींचते चले
तू पतंग जैसे उड़ के चली
आ भी जा रितु बादल
वीराना में छुपकर अच्छा लगता है
तेरी नैनो की खातिर तरसते रहे
तनहाई बरसते रहे
तनमन जल उठे
जी आर कवियूर
16 02 2023
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