Friday, February 17, 2023

संभालो मुझे

संभालो मुझे

कितने फुर्सत में तेरे आंखों को सजाया है
कितनी खामोशियों से तेरी होठों को बनाया है
कितनी प्यार से सवारा है तेरी गालों को
कितनी नाजुक हाथों से छुआ है तेरी हृदय को

हे रब मुझे क्यों इतना सुंदर संवारा नहीं
कुछ तो रहमत  होता तो मैं भी आज तुझसे
इतनी शिकायत ना करता
फिर भी तूने जो दिया
जो कुछ से सुकून रहना चाहता हूं 
मगर यह सब देख
मुझसे संभाला नहीं जा है 
थोड़ा रहम करो
मेरे इस हाल को सुधार दो 
आखिर तुम भी एक खुदा हो

जी आर कवियूर  
18 02 2023

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