Thursday, February 9, 2023

मेरे नैनों से ( ग़ज़ल)

मेरे नैनों से ( ग़ज़ल)

मेरे नैनों से
तूने निंदिया चुराई
करवट बदलते बदलते
रात कट गई
ना हुआ सपना
ना तू आई दिलरुबा

खामोशियों में
सोचता रहा
तेरी मुस्कुराहट की 
आहट पे 
दिल की धड़कन
बढ़ते गई यारा

तनहाई और नहीं सहा नहीं जाए
मेरे नैनों से
तूने निंदिया चुराई

लेखक
जी आर कवियूर

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