उसकी छाया पर
तू ही मेरी आरजू का
पसाना ओ सनम
तेरे लिए मैं जान भी गवा दूंगा
हुस्न की तबस्सुम देख
मैं मुझे ही भूल गया हूं
आखिर क्यों तुम दूर दूर तक
भागती चली जाती हो
तेरे चेहरे पर चांद
आंखों में सितारे देख
होश खो बैठा हूं
मगर तू क्यों पास नहीं आती हो
रितु बदल बदल कर
बीते हुए सावन को
आज भी याद कर
तड़पता रहता है
हे हुस्न तेरे लिए सब कुछ
निछावर कर दूं
हाय जिंदगी तू एक पहेली
बनकर जीने को
आदि कर दे ते हो
उसकी छाया पर
जी आर कवियूर
28 02 2023
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