क़तर में आके
खतरा जो मोल लिया
खतरा जो मोल लिया
खबर क्या बताये,
बेखबर हो गया खत्मसा हो गया
बेखबर हो गया खत्मसा हो गया
शांति रूठ गई
क्षमा और शमा भी बुझ गई
रोशनी की रंगत के लिए
रोशन गुल होकर भी
समय भी साथ न रहा
संजोता करू कैसे
उनकी याद में जी रहा हूँ
उजड़ा हुआ इस दुनियाँ में
आशा भी निराशा हो गई
थे कभी वे सब अपने
अब बेगाने हो गऎ