Tuesday, August 25, 2020

तेरे लिए

तेरे लिए....

मुद्दतों के बाद मिला है .
तेरी होठों में यह हंसी क्या बताऊं .
हो गया दीवाना इतना जनम जनम से 
चाहता था कैसे खिले चेहरे को देख 

लिखूं तो लिखूं क्या 
उंगलियों भी रुक गई 
मगर दिल नहीं माना 
कितने बार लिखा और काट दिए

कब मैं पूरा इस नगमे को
रूठ ना जाना सनम 
लिखता रहूं ऐसे जिंदगी भर तेरे लिए
रूठ ना जाना सनम 
लिखता रहूं ऐसे जिंदगी भर तेरे लिए..

जी आर  कवियूर