Friday, December 17, 2021
बरसती रही
Thursday, December 16, 2021
कविता
Friday, December 10, 2021
खफा ना होना
Sunday, November 28, 2021
मिलता नहीं - कविता
मिलता नहीं - कविता
वक्तकी आगे न मुझे मिलेग।
किसा है किस्मतकी देन से
कहता रहा ये सिनसिला
चलता रहा राहे लम्बी
तू कब मिलेगी मेरेलिए
जनम जन्मसे टुन्द्ता चला
पास आयेतो तू दूर गयी
क्यों होता है इसकदर
तेरे नेनो के सिवाये
मुझे दिकता नहीं
दीवालिका दिया जैसे
दिलमे चमक दमकता है
वक्तकी आगे न मुझे मिलेग।
किसा है किस्मतकी देन से
कहता रहा ये सिनसिला
चलता रहा राहे लम्बी
जी आर कवियुर
Wednesday, November 10, 2021
दुनियासे कहताहूं तेरेलिए - कविता
दुनियासे कहताहूं तेरेलिए - कविता
ललकारता हूं तरेलिए
लाखों दफा दुनियासे
लेकिन तू नहीं जाने
दिलगी मेरी सनम
लगता नही तेरे बिना
दिलकी लगन मुझे
लाजबिल्कुल नहीं
दिलाशासे जिता हूँ तेरे लिये
लबोमे तेरे नामके सिवा
लगता नही कुछभी
लोग मुझे कहते पागल आशिक आवारा
लंबी नहीं लमहे इस जिंतगिका
लिखता हूं नग्मे तेरे लिए सनम
लेकिन तुम जानती हो इने
ललकारता हूं तरेलिए
लान्कोदफा दुनियासे
जी आर कवियुर
Saturday, October 23, 2021
लेचल
लेचल
ले लो मुझे बाहों में
दिल की सारा आंखों में
आज तुम मुझे ले चल
निगाहों में निंदिया के
राहों में सपने की सुहानों में
आंचल की उड़ानों में
हम तुम रहे किनारे में
नदी की बाहों में
आज तो मुझे ले चल
ले लो मुझे बाहों में
सांसे बरी सन्नाटो से
संसार की सहरों में
तू ही मेरे राहों में
रुकना नहीं दिल की
लगी लगानों में
तारे की चमक दमक में
ले लो मुझे बाहों में
दिल की सरआंखों में
आज तू मुझे ले चल
निगाहों में निंदिया के
राहो में सपनों की सुहाने में
जी आर कवियुर
24 .10 .2021
Tuesday, September 7, 2021
कहा दूँद चला
दिलगी राहे दूँद चला
टुटीहुई तारोकि तलाश मैं
जाग ऊटी तनमनमे
तुजे पानेकी तमनना
रेतकी दुपमे , क्याबतावे
तरसता रहगया पानिकेलिए
कोई भी ना आया दिलकी
हालचाल पूछने सिवाए
हवा और चाँद सितारे के सिवाए
तरस खाता हूं
दुनियाके हर मेलेमै ।
सिवाए मेरे दोस्तोंके
हमदर्दियोसे मन हुवा चंगा
और कहा दूँडे दिलके सिवा
जी आर कवियुर
Friday, June 18, 2021
रखो भरोसा -कविता
रखो भरोसा -कविता
रात गई जो बीतगई बाते
रिस्तो की साँस बरी सोगते
रिमज़िम बरसे बरसाते
रीवाजो की नजर अंताजे
सात सात रह गई सपने
सितारों तक थी पहचाने
मगर रहगयी मुलाकाते
चार दिनकी चमक दमक
पोहंचे चंदा और चांदनी तक
अगर मगर की बाते में रहगयी
फिरसे रह गई अनदियारा
मगर ये कबतक रहेगी सन्नाटा
अन्थकार बरी राते की छुपाहट
उजाला से आहट हटेगी
आएगी नया सुबह की किरण
भरोसा ही है मनमे जिनकी ईरादा
जी आर कवियुर
18 .06 .2021
Monday, May 10, 2021
क्या कहुं जिंदगी
क्या कहुं जिंदगी
लाखो छुपाया यादोकि
गुलदस्तेको मगर
खुसबू भीखर गये मुहबत की
दास्तानों से खया कहहुं
वक्त की खोज में
वापस ना का पाया
अनेक मोके खोबेटा
उम्मीद क्या रखूं ये खुदा
उनके इंतजार कर के
मुँह मोटलिया इस कदर
वफाये जिंदगी की इन
मोड़ पर रहगये अकेले
सोचते रहगये की
सात दे मगर क्याकरे
इंसानियत ना रह गई
खूनकी मोलभीना समजे
जी आर कवियूर
11 05 2021
Monday, April 12, 2021
तोफाये - कविता
तोफाये - कविता
वादये इश्क़का
तोफाये कुबूल करले
आये गये कितने
जन्म जनमांनदार तक
फुलोकि खुशबु भी
भवरोकि गूंजने
कोयलकी बोलियां
मयूरकी पंक फैलाना
सागरकी गरिमा से
इश्कके तोफे दे जातेहै
लहरों से चुम्बन की कम्बन
दे जाती है किनारे को
बदलकी सहलाना
चोटियोंको दे हरियाली
जहाँभी देखो तो
इश्ककी तोफाये तोफा है
जी आर कवियूर
11 02 2021
Saturday, April 10, 2021
हमने परका
हमने परका
हमने परका परका
यादों की किताबों में
ऑटो सिली थी
कलम का शाही भी
खत्म हो चुकी थी
दोबारा तो लिख नहीं सकते
यादों की इन बातों को
लोटा भी नहीं सकता हूं
अर्जी करो किस्से
यह बेवफा दुनिया की
दस्तूर ओं से
माफ करो
मेरी इन हरकतों से
कैसे कहूं अभी भी
कितना चाहता हूं तुझे
हमने परका परका
यादों की किताबों में
ऑटो सिली थी
कलम का शाही भी
खत्म हो चुकी थी
जी आर कवियूर
11.04.2021
Saturday, February 27, 2021
तेरी याद में सनम
जैसे बिछड़े हुवे गमो के छाया में
जिसम और जान जाम बरी महफ़िल में
जिंदगी की इस मोड़ पर है
जताया न जासके यारों
आवो गायें बसंत ऋतु की आने पर
गम बुलासके होटो पर आई जो
नगमे उतारूँ ग़म हेट कलमसे
प्रेम बरी शाहीसे मनकी ठंडक
खूनकी रंग क्यों हो जाई नीला
बांसूरीकी धुनमें क्यों दुःखकी
राग रंग और बेवफायीकी आलम
ठहरे जो ओसकी बूंदो पे
न आई निंदिया भी
गीले हुवे तकिया
दिल भी रोए इतने
तेरी याद में सनम
जी आर कवियूर
28 02 2021
Friday, February 19, 2021
तू और मैं
Tuesday, January 12, 2021
तेरे आने पर
तेरे आने पर
तेरी माथे की बिंदिया
लागे सूरज की लाली
आंखों का काजल में
ना बरसे बादल
नाक पर चमके सितारे
तेरे नाम रहे प्यारा
तेरी कानों के बाली
सुनाए सरगम हमारा
होठों पर खिले चांदनी
चंदन महके तेरी बोली
कोयल कुके , मोर नाचे
रंग लाई दिल पर सावन
तू कितनी लगती हो सुंदर
तोहरे आने पर मेरा जिया धड़के
लगे मोरे अक्षर नाचे उंगलियों पर
गाये मन तेरी हर एक इशारे पर
तेरी माथे की बिंदिया
लागे सूरज की लाली
आंखों का काजल में
ना बरसे बादल
जी आर कवियुर
12 .01 .2021