तोफाये - कविता
वादये इश्क़का
तोफाये कुबूल करले
आये गये कितने
जन्म जनमांनदार तक
फुलोकि खुशबु भी
भवरोकि गूंजने
कोयलकी बोलियां
मयूरकी पंक फैलाना
सागरकी गरिमा से
इश्कके तोफे दे जातेहै
लहरों से चुम्बन की कम्बन
दे जाती है किनारे को
बदलकी सहलाना
चोटियोंको दे हरियाली
जहाँभी देखो तो
इश्ककी तोफाये तोफा है
जी आर कवियूर
11 02 2021
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