क्या कहुं जिंदगी
लाखो छुपाया यादोकि
गुलदस्तेको मगर
खुसबू भीखर गये मुहबत की
दास्तानों से खया कहहुं
वक्त की खोज में
वापस ना का पाया
अनेक मोके खोबेटा
उम्मीद क्या रखूं ये खुदा
उनके इंतजार कर के
मुँह मोटलिया इस कदर
वफाये जिंदगी की इन
मोड़ पर रहगये अकेले
सोचते रहगये की
सात दे मगर क्याकरे
इंसानियत ना रह गई
खूनकी मोलभीना समजे
जी आर कवियूर
11 05 2021
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