Monday, May 10, 2021

क्या कहुं जिंदगी

 क्या कहुं जिंदगी 

   

लाखो छुपाया यादोकि 

गुलदस्तेको मगर 

खुसबू भीखर गये मुहबत की 

दास्तानों से खया कहहुं 


वक्त की खोज में 

वापस ना का पाया 

अनेक मोके खोबेटा

उम्मीद क्या रखूं ये खुदा 


उनके इंतजार कर के   

मुँह मोटलिया इस कदर 

वफाये जिंदगी की इन 

मोड़ पर रहगये अकेले 


सोचते रहगये की 

सात दे मगर क्याकरे 

इंसानियत ना रह गई

खूनकी मोलभीना समजे 


 जी आर कवियूर 

11  05  2021  


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