Saturday, September 30, 2023

यह एक सपना बन जाता है

यह एक सपना बन जाता है


 मैं तुमसे कुछ नहीं कह सकता
 कभी नहीं भूलें
 भीतर का मीठा दर्द

 यादें मुझे खुद से अलग बनाती हैं
 हजारों  फूल खिले मन में
 एक चांद सा चेहरा निकला

 अपने पंख फैलाओ और तितली बन जाओ
 उड़कर करीब आने की चाहा था
 यह सिर्फ एक सपना बन कर रह जाता है

 जी आर कवियूर
 28 09 2023

Tuesday, September 26, 2023

इस पिज़्ज़ा में

तेरे रहूंनुमाइश पे जीता हूं
जिंदगी की रास्ते में इसके सिवा
क्या होगा मालूम नहीं
तू मेरे हमराही
कहां छुप गए हो

तेरे बिना दुनिया सुनी है सुनी
तेरे साथ जीने की है ये मनी
दिल की धड़कन तू ही है मेरा गाना
तू मेरे सपनों का है मिलना
इस पिज़्ज़ा में, हम दोनों हैं जवाना

रचना 
जी आर कवियूर 
27 09 2023

Thursday, September 21, 2023

मेरे विलाप

मेरे विलाप 

 शांत ध्यान में, मेरे विचार ऊंचे उठते हैं,
  मन की गहराइयों से, रात के सन्नाटे में।
  शब्द अनकहे, भावनाएँ छुपी,
  मौन के दायरे में,
  सत्य उजागर होते हैं.

  हर खामोश पल, शांति का कैनवास,
  जहां चिंताएं और संदेह अपनी मीठी रिहाई पाते हैं।
  विचारों का समूह समाप्त करते हुए, वे फुसफुसाते हैं,
  मैं मौन की भाषा में अपना रास्ता ढूंढता हूं।

  दुनिया अपनी अराजकता और शोर से शोर मचा सकती है,
  लेकिन मेरी चुप्पी में और कुछ मायने नहीं रखता।
  इस शांत जगह में मुझे सांत्वना और शक्ति मिलती है,
  मौन की गहराई में, मुझे सच्ची कृपा मिलती है।

 जी आर कवियूर
 22 09 2023

Friday, September 15, 2023

तेरी यादों की जख्मों में

तेरी यादों की जख्मों में
मलम लगाने की कोशिश
हार गया हूं बीते हुए दोनों की
हलचल से  बुलाने की कशिश नहीं

तुझसे दूर जाने की सोच कर
दिल में दरारें बढ़ गईं हैं
तेरे बिना जीने की तलाश में
रात-दिन निगाहें बिछाई है

जब भी याद आती है तेरी मुस्कान
दिल बेहलाने के लिए कोशिशें हैं
तुझको भूलने की कभी कोशिश
मन में होती है, पर कामयाब नहीं

बीते दिनों की बातें चिढ़ जाती हैं
तेरी यादों में ही खो जाता हूं
इस दर्द को कैसे दिल से निकालूं
तुझसे जुदा होने की दर करता हूं

क्या कहूं, तू है मेरी जिंदगी का हिस्सा
तेरी यादों में बिताई हर पल की ख़ुशियाँ।

रचना 
जी आर कवियूर 
15 09 2023

तू ही मेरा प्यार हो तू

मेरे मन के आसमान में
उतरी हुई चांद हो तू
अंधेरे की उजाला तू ही हो
जहां भी देखूं तू ही तू हो

मेरे दिल की धड़कन हो तू
जीवन की हर खुशी हो तू
दर्द के पलों में सहारा हो तू
तू ही मेरी ज़िन्दगी का सहारा हो तू

सपनों की धारा हो तू
मेरे ख्वाबों की साकार हो तू
ज़िंदगी के सफर में साथ हो तू
तू ही मेरा प्यार हो तू

रचना 
जी आर कवियूर 
15 09 2023

Thursday, September 14, 2023

तेरे ख्यालों में

तेरे ख्यालों में
भुला न सका तेरे नैन
मुझे तड़पति है और
उड़lती है है मेरे ने चैन

दिल की झरोखे में
लिए घूमता रहा यह देन
समझता हूं मैं अनमोल
वक्त ने दिया यह लेन

तेरे इश्क़ में जबसे
बसा हूं मैं दिल में
तू है मेरी ज़िंदगी की
सबसे हसीं रोशनी

रातों को जब भी आकर
तेरी यादें लेती हूं
दिल के क़रीब तू हो
हर दर्द को मिटाती हूं

बिना तुझे मेरी जिंदगी
सुनी सी लगती है अब
तू है मेरा प्यार और
मेरी खुशियों की दाब

इस प्यार में बसे हैं हम
मिलकर सजती है यह दुनिया
तेरे बिना मेरी जिंदगी
सुनी सी लगती है सुना

रचना 
जी आर कवियूर 
15 09 2023



Wednesday, September 13, 2023

मिलन की बात।

न जाने कैसे
आंखों से आंखें मिले
दिल खिले प्यार पले
राज खुला गले मिले 

बिना बातों के भी
दिलों की बातें हो जाएं
सपनों में खो जाएं
ये राहें मिले राहों में

सब कुछ लगे मगिल
खुशियाँ बेहिसाब
ये प्यार की राहें
चाहत की जिद हैं यहाँ

दिल की गहराइयों में
छुपा ये जजबात
समय रुके यहाँ
हमारी ये मिलन की बात।

Tuesday, September 12, 2023

गजल बन के छा गया

गजल बन के छा गया

बीते हुए लम्हों में
गाता रहा नगमे
तेरी यादों में
तन्हाई के सांसों में

दिल की धड़कनों में
ख्वाबों के सिलसिले में
तेरे ख्यालों में
चाँदनी रातों मैं

छुपा रहा अपनी बातों में
मोहब्बत की बातों में
यादों के पन्नों में
धूप के किरणों में

तेरे खुशबू के आगमन में
 दिल की आवाज़ों में
गुनगुनाता रहा इन वादियों में
कौन जीता रहा इस तरह

आँखों के सपनों में 
बिना कुछ कहे, बिना कुछ सुने
सितारों के नीचे रातों में
तेरे बिना, तेरे ख्यालों में

डूबता रहा दिल की गहराइयों में
प्यार की दास्तानों में
आशिकी के गीतों में
सपनों के पलों में
मोहब्बत की राहों में
बस तेरी यादों में
गजल बंद कर छा गया

रचना और गायकी
जी आर कवियूर 
13 09 2023

ख्वाब मुझे बहुत सताता है

तारे टूट कर बिखर जाएगा
चांद बादल में छुप जाएगा
तेरे ना आने पर मैं टूट जाऊंगा
इस तरह रूठ कर क्यों जाती हो

जैसे सागर साहिल से दूर जाकर
रोते हुए लौटकर आता है
यह तन्हा और नहीं सह पाऊंगा
तेरे बिना कैसे जी पाऊंगा

तू मेरी जिंदगी की रौशनी है
तुझसे जुदा होने का डर सताता है
तेरी आवाज़ की मिठास मुझको बहुत याद आती है
खो जाने का ख्वाब हर रोज़ सताता है

प्यार की राहों में दर्द होता है
फिर भी तुझसे मोहब्बत होती है
तू मेरी जिंदगी का एक हसीन सफर है
तुझे खोने का ख्वाब मुझे डराता है

इस तन्हाई में तेरी यादें सजती हैं
दिल के दरिया में तेरा नाम बहता है
तुझसे मिलकर ही मेरी जिंदगी का मतलब है
तेरी बिना जीने का ख्वाब मुझे बहुत सताता है

रचना 
जी आर कवियूर 
12 09 2023

Sunday, September 3, 2023

मालूम नहीं

मालूम नहीं

नज्में नगमे लिखें हमने
तेरी यादों के सपने देखें
मालूम नहीं कब तलक
इस तरह चलती रहेगी  
हमारे दास्तां खत्म ना हो

गाते गाते गला बैठ गया
जीते जीते जिंदगी की
आखिरी छोर तक पहुंच गए
हारा नहीं और हर माना नहीं
हमेशा जीत की तरह देखता रहा

विरासतए कितनी भी मिले
तेरे सिवा कुछ भी भाता नहीं
इस तन्हाई कब तक सहेंगे 
तरसता रहा इन वादियों में
भुला ना पाया तेरी हर अदाएं

रास्ते लंबे होते गए
दिन रात एक कर गए
देखते ही देखते बीत गई 
उम्मीदों की दास्तान
और कितना दिन मालूम नहीं

रचना 
जी आर कवियूर 
04 09 2023


Saturday, September 2, 2023

अजनबी

रात से लंबी
डगर है अज्ञात
फड़के इधर-उधर
उजाला नजदीक

तू मेरे लिए दिल की खिड़की 
 खोला कर दीया हुआ दिनों
 स्मृति से मिटता नहीं
 जब भी मैं याद करता हूँ
 तो अंदर एक एहसास होता है

रात का साया, चुपके से छाता है दिल
क्योंकि तू ही है वो उजियाला 
अब मेरे दिल की पहचान
सितारों की चमक, चाँद की मिठास
तू मेरे जीवन की रौशनी, हर दिन की आस

मेरी आँखों के सामने, तू हर दिन चमकती है
तेरे बिना जिंदगी, बेमानी सी लगती है
तू मेरे सपनों की मल्लिका, खुशियों का सागर
तेरे प्यार में ही, मेरा है सब कुछ, 
ये तुझसे यह कहना है इक ख्वाब अजनबी का ।

रचना 
जी आर कवियूर 
02 09 2023