रात से लंबी
डगर है अज्ञात
फड़के इधर-उधर
उजाला नजदीक
तू मेरे लिए दिल की खिड़की
खोला कर दीया हुआ दिनों
स्मृति से मिटता नहीं
जब भी मैं याद करता हूँ
तो अंदर एक एहसास होता है
रात का साया, चुपके से छाता है दिल
क्योंकि तू ही है वो उजियाला
अब मेरे दिल की पहचान
सितारों की चमक, चाँद की मिठास
तू मेरे जीवन की रौशनी, हर दिन की आस
मेरी आँखों के सामने, तू हर दिन चमकती है
तेरे बिना जिंदगी, बेमानी सी लगती है
तू मेरे सपनों की मल्लिका, खुशियों का सागर
तेरे प्यार में ही, मेरा है सब कुछ,
ये तुझसे यह कहना है इक ख्वाब अजनबी का ।
रचना
जी आर कवियूर
02 09 2023
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