गजल बन के छा गया
बीते हुए लम्हों में
गाता रहा नगमे
तेरी यादों में
तन्हाई के सांसों में
दिल की धड़कनों में
ख्वाबों के सिलसिले में
तेरे ख्यालों में
चाँदनी रातों मैं
छुपा रहा अपनी बातों में
मोहब्बत की बातों में
यादों के पन्नों में
धूप के किरणों में
तेरे खुशबू के आगमन में
दिल की आवाज़ों में
गुनगुनाता रहा इन वादियों में
कौन जीता रहा इस तरह
आँखों के सपनों में
बिना कुछ कहे, बिना कुछ सुने
सितारों के नीचे रातों में
तेरे बिना, तेरे ख्यालों में
डूबता रहा दिल की गहराइयों में
प्यार की दास्तानों में
आशिकी के गीतों में
सपनों के पलों में
मोहब्बत की राहों में
बस तेरी यादों में
गजल बंद कर छा गया
रचना और गायकी
जी आर कवियूर
13 09 2023
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