बरसती रही
तेरी आंखों की नदियां
बहती चली सागर की तले
लहरों में पाई मैंने
अंदर की आहट
देख मुझे
घबराहट तो लाती है
जालिम यह हवा
झूठी कहानी फैलाता चला
नजर बरसती रही
दिल तड़पता रहा
सीने की आग भटकता रहा
तन्हाई के आलम में
शाही कलम से बिखरता गया
तेरे नगमे लिखता गया
तू क्या जाने मेरी दिल की धड़कन
आंसू बनकर बरसता गया
जी आर कवियूर
18 12 2021