Thursday, December 16, 2021

कविता

कविता


दिल के आईने में 
देखता रहा तुझको
दीवारों क्यों खड़ा कर दी 
दावे कितने दिए मैं ने

दीया कितना जलाए मैं ने
देवता सामान पूजा मन मंदिर में
दिक्कतें झेले इस कदर तेरे लिए
दौलत और शोहरत कमाएं तेरे लिए

दरवाजे पर नज़र रखा
तेरे आने की नाम और निशान ना रहा
तनहाई में लिखे नगमे तेरे लिए
 तन-मन की तस्वीर बनाए और
 तुझको मालूम नहीं फाड़ फेंका मैंने

जी आर  कवियूर
17 12 2021

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