Wednesday, August 23, 2023

लेकर खुशियों की बहार।

लेकर खुशियों की बहार।

चुपके से आए मेरे द्वार
चुरा के ले गए दिल्ल की हार
चमन में चमके थे आंखों के तारे
चुंबन हो के लिए तरस उठा   

बादलों ने छुपाया
चाँद को वीरानी में
रात की आवाज़ में 
बसे थे ख्वाब सारे 

होठों की मुस्कान से
खिल उठे ज़िंदगी के फूल
आयी थी मोहब्बत की हवा, 
मिल गई अब खुशियों की राहें

दिल में छुपी थी एक 
अद्भुत सी कहानी
प्यार की लहरों ने लिया था 
मन को बहलाने
चुपके से आई थी सुबह,
लेकर खुशियों की बहार।


रचना 
जी आर कवियूर 
23 08 2023

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