बार-बार
दिल ढूंढता है बार-बार
प्यार के नगमे हजार बार
रिश्ते नाते लाखों बार
मगर मिलती नहीं एक बार
तेरे जैसे कोई मिलता नहीं बार-बार
बरसता रहे दिल में हर बार
तरसते रहते हैं एतबार
सपनों में आती रहती हो बारंबार
दिल तोड़ कर चली जाती हो बार-बार
कली खिलती है महकते
रहते हैं खुशबू बार-बार
भंवरे आते रहते हैं बार-बार
रचना
जी आर कवियूर
16 08 2023
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