Monday, June 19, 2023

तू ही तू

तू ही तू

तेरे होठों में खिले
गुलाब की लाली
मुस्कुराने से
महक के चमेली

तुम संग रहे
वह सावन की दिन है
आज भी भुला न पाया
सनम इस बेकरारी सहा नहीं जाता

तुम कब आए तो
हवा का झोंका भी
बदल जाए जिस तरह
सागर में लहरे

मेरी शेर शायरी गजलो
में नजर उठाए 
तू ही तू 

रचना 
जी आर कवियूर 
20 06 2023

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