Saturday, December 17, 2022

कह दो

कह दो 


जोभी कहुं कहता रहूँ

कहने को क्या कहुं 

इतना भी कह दे 

इशारो से इशारो तक 


गरमीयो में सावन जैसे 

खिलती हुवी फुले 

तेरी लबोपे नजर आये 

दिल बोल ऊठे की 


कुछ तो है जो 

बोलने को बेचें है 

कह डालो वर्णा 

टूट जावोगे की 

तुम हमें करते हो प्यार 


जी आर कवियुर 

No comments:

Post a Comment