विदेश में भी देश की खोजमे
कह दो
जोभी कहुं कहता रहूँ
कहने को क्या कहुं
इतना भी कह दे
इशारो से इशारो तक
गरमीयो में सावन जैसे
खिलती हुवी फुले
तेरी लबोपे नजर आये
दिल बोल ऊठे की
कुछ तो है जो
बोलने को बेचें है
कह डालो वर्णा
टूट जावोगे की
तुम हमें करते हो प्यार
जी आर कवियुर
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